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हिमाचल : विधवा और निराश्रितों को करुणामूलक नौकरी में मिलेगी प्राथमिकता, आय सीमा में बढ़ौतरी

Anil Kashyap
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न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 09 अक्टूबर। प्रदेश सरकार ने करुणामूलक आश्रितों को लेकर संशोधित नीति जारी की है। इसमें सहानुभूति या करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने के नियमों में बदलाव किए गए हैं। नई नीति के तहत अब करुणामूलक आधार पर नौकरी पाने के लिए परिवार की कुल वार्षिक आय सीमा को संशोधित करते हुए अब इसे 3 लाख रुपए कर दिया गया है। इसके साथ ही ‘पर कैपिटा आय’ की बाध्यता को 31 दिसम्बर, 2025 तक के लिए हटा दिया गया है। इस निर्णय से उन परिवारों को राहत मिलेगी जो मामूली अंतर से पिछली आय सीमा के चलते पात्र नहीं माने जाते थे।

सरकार ने इस नीति में विशेष रूप से विधवाओं और अनाथ बच्चों को प्राथमिकता दी है, बशर्ते कि उनकी आयु मृतक कर्मचारी की मृत्यु के समय 45 वर्ष से कम हो। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के संजय कुमार और एनसी संतोष मामलों में दिए गए निर्णयों के अनुसार अब पात्रता का मूल्यांकन आवेदन या मृत्यु की तिथि की बजाय उस दिन किया जाएगा, जिस दिन आवेदन पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा यदि किसी विभाग में 5 प्रतिशत के आरक्षित करुणामूलक कोटे के अंतर्गत तत्काल कोई पद रिक्त नहीं है, तो ऐसे मामलों में भी सरकार ने एक बार के लिए छूट दे दी है, जो कि 31 दिसम्बर, 2025 तक लागू रहेगी। यह प्रावधान लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे आवेदकों के लिए राहत भरा माना जा रहा है।

इस नीति में अनुबंध शब्द को हटाकर ‘जॉब ट्रेनी’ कहा जाएगा, जबकि ‘दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी’ की जगह अब ‘मल्टी टास्क वर्कर’ शब्द का प्रयोग किया जाएगा। करुणामुलक के आधार पर अब क्लास-3 के निचले स्तर के पदों पर ‘जॉब ट्रेनी’ और क्लास-4 के पदों पर ‘मल्टी टास्क वर्कर’ के रूप में नियुक्ति दी जा सकेगी। इतना ही नहीं, पहले जहां क्लास-3 के तहत ‘क्लर्क’ पद शामिल था, अब उसकी जगह ‘जूनियर ऑफिस असिस्टैंंट (आई.टी.)’ को शामिल किया गया है। राज्य सरकार ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे इन संशोधनों की जानकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों को तुरंत भेजें और इसकी पालना करवाएं।

करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि प्रदेश भर के करुणामूलक आश्रित इस पॉलिसी से नाखुश हैं। सरकार ने आय सीमा तो बढ़ाई है और इस आय सीमा को फ्लैट 3 लाख रुपए भी किया है परंतु यह नोटिफिकेशन सिर्फ 31/12 /2025 तक ही वैध है, जबकि संगठन ने यही मांग रखी थी कि आय सीमा को हमेशा के लिए फ्लैट किया जाए। संघ ने मांग रखी थी कि रिजैक्ट केसों को भी कंसीडर किया जाए, जो पहले से आय या फिर किसी अन्य कारण के रिजैक्ट हो चुके हैं और अभी 3 लाख के दायरे में आ रहे हैं, उनको रिकंसीडर किया जाए।

परंतु सरकार ने रिजैक्ट केसों को कंसीडर करने के लिए मना कर दिया है। सरकार ने अनाथों और सिर्फ विधवाओं के बारे में सोचा, जबकि 3,432 करुणामूलकों ने अपने माता-पिता को खोया है। करुणामूलक संघ ने इसके लिए डिमांड रखी थी कि बिना किसी भेदभाव के मृत्यु की तिथि की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाएं। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा है कि इस मामले में संघ मुख्यमंत्री से मिलेगा।

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