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पालमपुर (कांगड़ा), 21 अक्टूबर । कहते हैं, “कभी हार मत मानो, क्योंकि किसी मां के हौसले के आगे हालात भी झुक जाते हैं।” यह पंक्ति हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर की एक संघर्षशील मां की जिंदगी पर बिल्कुल सटीक बैठती है। पति के निधन के बाद जब जिम्मेदारियों का पहाड़ उनके कंधों पर टूटा, तब उन्होंने हार नहीं मानी — बल्कि सिलाई मशीन को अपना साथी बनाकर तीनों बच्चों को वह मुकाम दिलाया, जिसकी कल्पना हर मां करती है।
पति के निधन के बाद संभाली जिंदगी की बागडोर
साल 2013 में जब इस परिवार के मुखिया का निधन हुआ, तब तीनों बच्चे स्कूल में पढ़ रहे थे। आर्थिक स्थिति डगमगा गई थी, लेकिन मां ने अपने साहस से हार नहीं मानी। उन्होंने लोगों के कपड़े सिलकर घर चलाना शुरू किया और बच्चों की पढ़ाई किसी भी हाल में जारी रखी। दिन-रात मेहनत कर उन्होंने हर मुश्किल को मात दी।
तीनों बच्चों ने पूरी की मां की उम्मीदें
उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई। साल 2018 में बड़ी बेटी *साक्षी वालिया* पुलिस कांस्टेबल के रूप में चयनित हुईं। इससे प्रेरित होकर छोटी बेटी दीपिका वालिया ने भी 2021 में पुलिस विभाग में अपनी जगह बनाई। अब इस मां के बेटे गौरव वालिया ने भी पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा पास कर परिवार का नाम रोशन कर दिया है।
‘मां हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा’ — गौरव वालिया
गौरव वालिया ने कहा कि उनकी सफलता का पूरा श्रेय मां को जाता है। उन्होंने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि घर में पिता नहीं हैं। मां को हर दिन बिना थके सिलाई करते देख हमें प्रेरणा मिलती रही।
स्थानीय निवासी मदन लाल ने कहा कि यह परिवार पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन गया है। अगर नीयत साफ हो और हौसला मजबूत, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।
