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हिमाचल की बड़ी कानूनी जीत, वाइल्ड फ्लावर हॉल से राज्य को मिलेंगे 401 करोड़ रुपये

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शिमला, 16 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक लंबे अरसे से चली आ रही महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई में बड़ी सफलता हासिल की है। अब राज्य को मशोबरा स्थित वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से 401 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे और प्रदेश इस संपत्ति का एकमात्र स्वामी बन जाएगा।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने 14 अक्तूबर, 2025 के निर्णय में आदेश दिया है कि राज्य सरकार अब संयुक्त उद्यम कंपनी मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड (एमआरएल) की बैंक जमा राशि, शेयर होल्डिंग्स और पूंजी के विरुद्ध अग्रिम राशि के 50 प्रतिशत की अकेली स्वामी बन गई है। न्यायालय के आदेशानुसार, 320 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस राज्य को हस्तांतरित किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य को 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान और ईस्ट इंडिया होटल्स (ईआईएच) की 13 करोड़ रुपये मूल्य की शेयर होल्डिंग भी राज्य को हस्तांतरित की जाएगी।

इसके साथ ही, न्यायालय ने ईआईएच द्वारा एमआरएल में लगाई गई 136 करोड़ रुपये की पूंजी में से केवल 68 करोड़ रुपए ईआईएच को लौटाने का निर्देश दिया है। इस प्रकार, राज्य को 68 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ होगा।

गौरतलब है कि एमआरएल, ईस्ट इंडिया होटल्स और राज्य सरकार की एक संयुक्त उद्यम कंपनी थी, जो पहले वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति का संचालन करती थी। यह कानूनी मामला लगभग 30 वर्षों से न्यायालय में लंबित था।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के विशेष हस्तक्षेप और निरंतर प्रयासों से सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी, 2024 को वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति का कब्जा और स्वामित्व राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य ने 31 मार्च, 2025 को संपत्ति का भौतिक कब्जा प्राप्त कर लिया था।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस जीत पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह हिमाचल के लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने देश के प्रमुख विधि विशेषज्ञों की सहायता से यह मामला मजबूती से लड़ा और राज्य को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाने में सफलता प्राप्त की।

मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में एक अन्य मामले में भी सर्वोच्च न्यायालय ने कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी के संबंध में राज्य के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दिया था, जिसके तहत जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी को राज्य को 12 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत रॉयल्टी देने के आदेश दिए गए हैं। इससे हिमाचल को प्रति वर्ष 250 करोड़ रुपये से अधिक की आय होगी।

उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए हर स्तर पर प्रयासरत रहेगी और किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करेगी।

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