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शिमला, 18 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने जन्मदिन के अवसर पर एक ऐसी अपील की है, जिसने राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक चर्चा छेड़ दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए लोगों से आग्रह किया कि अब उन्हें “राजा जी” या “टिक्का जी” कहकर न पुकारा जाए, बल्कि सिर्फ़ उनके नाम से संबोधित किया जाए।
विक्रमादित्य ने लिखा, “मैं उन सभी का आभारी हूं जो मुझे स्नेह, सम्मान और आत्मीयता से इन पारंपरिक उपाधियों से बुलाते हैं, लेकिन समय के साथ समाज और सोच दोनों बदल चुके हैं। अब पहचान हमारे कर्मों और विचारों से होनी चाहिए, न कि उपाधियों से। मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान यही होगा कि आप मुझे मेरे नाम से पुकारें।”
यह पोस्ट उनके जन्मदिन के एक दिन बाद सामने आई, जब हजारों समर्थकों और शुभचिंतकों ने सोशल मीडिया पर उन्हें बधाइयाँ दीं। अधिकांश लोगों ने परंपरागत रूप से उन्हें “राजा विक्रमादित्य सिंह” या “टिक्का साहिब” कहकर संबोधित किया था। इसी के बाद उन्होंने यह स्पष्ट और भावनात्मक संदेश जारी किया।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद, रामपुर बुशहर रियासत की परंपरा के अनुसार 10 जुलाई 2021 को पद्म पैलेस में विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक हुआ था। इस रियासत में परंपरा रही है कि जब तक उत्तराधिकारी का राजतिलक नहीं होता, तब तक राजा का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। इसी क्रम में वे बुशहर रियासत के 123वें राजा बने।
बुशहर रियासत को भगवान श्रीकृष्ण की वंशावली से जुड़ा माना जाता है और इसका इतिहास हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर में विशेष स्थान रखता है। विक्रमादित्य की यह अपील बताती है कि वे विरासत और आधुनिकता के बीच संतुलन साधते हुए एक नई राजनीतिक पहचान गढ़ना चाहते हैं — ऐसी पहचान, जिसमें सम्मान परंपरा का भी हो और मूल्य आधुनिक सोच के भी।