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हिमाचल : विक्रमादित्य सिंह के विभाग की लापरवाही, तीन दिन पहले की गई टारिंग लगी उखड़ने, गुणवत्ता पर उठे सवाल

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शिमला, 21 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में लोक निर्माण विभाग का जिम्मा संभाल रहे मंत्री विक्रमादित्य सिंह लगातार प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ सड़कों के निर्माण की बात करते हैं। मगर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। इसका ताजा उदाहरण शिमला जिले के ठियोग में देखने को मिला, जहां महज तीन दिन पहले की गई नेशनल हाईवे-5 की टारिंग अब उखड़ने लगी है।

लाखों.करोड़ों की लागत से तैयार की जा रही यह सड़क पहले ही सप्ताह में जगह.जगह से उखड़ने लगी है। सवाल यह उठता है कि क्या विभागीय मंत्री को इस खराब क्वालिटी की जानकारी है। या फिर लोक निर्माण विभाग अब नींद में चलने वाला विभाग बन चुका है, जहां सड़क पर हो रहे घटिया काम पर किसी की नज़र ही नहीं जाती।

चार दिन पहले ठियोग के विधायक कुलदीप राठौर ने बाकायदा पूजा कर ठियोग बाजार में टारिंग कार्य की विधिवत शुरुआत की थी। इसके बाद ठियोग बाजार में लगभग 2.25 किलोमीटर लंबे हिस्से में टारिंग का काम शुरू किया गया। इस पैच के लिए सरकार ने करीब 3 करोड़ 23 लाख रुपये की राशि मंजूर की थी। स्थानीय जनता को उम्मीद थी कि वर्षों से धूल फांक रही सड़कों पर अब राहत मिलेगी, लेकिन तीन दिन में ही सच्चाई सामने आ गई। सड़क पर पड़ी डामर की परतें उखड़ने लगीं, और अब विभागीय कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है।

लोक निर्माण विभाग विंग ठियोग एनएच कनम बरोटा ने बचाव में कहा कि सड़क की टारिंग क्वालिटी जांच के बाद ही की जा रही है, लेकिन तापमान में गिरावट और ओस पड़ने की वजह से कुछ समस्याएं आ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि चलते ट्रैफिक में टारिंग करने से समस्या बढ़ जाती है और उन्होंने प्रशासन को लिखा भी है कि टारिंग के समय ट्रैफिक रोका जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सड़क टूटती है तो उसे ठेकेदार को ही दोबारा ठीक करना होगा और जब तक वह ऐसा नहीं करता, बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा।

एसडीएम ठियोग शशांक गुप्ता ने इस मामले पर कहा कि जहां.जहां सड़क उखड़ी है, वहां दोबारा टारिंग के आदेश दिए गए हैं। उनका यह भी कहना था कि पहली परत में थोड़ी बहुत उखड़न आम बात है, लेकिन दूसरी परत के बाद ये समस्या नहीं आएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि एनएच पर ट्रैफिक पूरी तरह बंद नहीं किया जा सकता, इसलिए सिंगल लेन ट्रैफिक चलाया गया था, जिससे काम प्रभावित हो सकता है। हालांकि यह स्वीकारोक्ति ही यह साबित करती है कि बिना सही व्यवस्था के, जल्दबाजी में सड़क बिछाने का काम किया गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब करोड़ों रुपये सड़क निर्माण पर खर्च किए जा रहे हैं, तो यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया जा रहा कि काम मौसम और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सही तकनीक से हो। लोगों ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह से सवाल किया है कि क्या उनके विभाग को जमीनी हालात की कोई खबर है या फिर विभागीय अधिकारी बस कागज़ों में रिपोर्ट पास कर रहे हैं।  सरकार हर साल सड़कें बनवाने के नाम पर करोड़ों खर्च करती है, लेकिन हर साल वही सड़कें फिर से टूटती हैं। ये जनता के पैसे की बर्बादी नहीं तो और क्या है।

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