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शिमला, 01 अक्टूबर। शिमला में कैरी बैग के 6 रुपये वसूलने के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने एक दुकानदार को ग्राहकों को कुल 8 हजार रुपये देने का आदेश दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी दुकानदार या ब्रांड शोरूम ग्राहकों से कैरी बैग के नाम पर अलग शुल्क नहीं वसूल सकता और इसे अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा।
मामला 21 जनवरी 2024 का है, जब लोअर बाजार स्थित बाटा शूज स्टोर में प्रीति सूद नामक महिला चप्पलें खरीदने गई थीं। उन्होंने दो जोड़ी चप्पलें खरीदीं जिनकी कीमत 499 रुपये थी, लेकिन बिल में 505 रुपये अंकित थे। अतिरिक्त राशि पूछने पर पता चला कि 6 रुपये कैरी बैग के लिए वसूले गए थे। महिला ने कहा कि बैग न तो उनका खरीदा गया था और न ही उनकी मांग थी।
जिला उपभोक्ता आयोग ने 4 सितंबर 2025 को आदेश में कहा कि कैरी बैग सामान का अभिन्न हिस्सा है और इसके लिए अलग शुल्क लेना न तो कानूनी है और न ही नैतिक। दुकानदार को 6 रुपये बैग शुल्क लौटाना होगा, मानसिक उत्पीड़न के लिए 5,000 रुपये मुआवजा देना होगा और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 3,000 रुपये अदा करने होंगे।
आयोग ने यह भी कहा कि बड़े शोरूम में कैरी बैग के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलना अनुचित व्यापार व्यवहार है। छोटे दुकानदार और फेरीवाले सामान को बैग या अखबार में मुफ्त में देते हैं, जबकि बड़े स्टोर ग्राहकों पर यह अतिरिक्त भार डालते हैं। जिला आयोग के अध्यक्ष डॉ. बलदेव सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में ग्राहक उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।
