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शिमला, 29 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश पर छाई आर्थिक मंदी स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा संकट डाल रही है। प्रदेश के गरीब परिवारों को मिलने वाले मुफ्त इलाज पर भी इसका असर पड़ रहा है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी शिमला में पिछले कई दिनों से गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। आईजीएमसी और रिपन अस्पताल में हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलने वाला मुफ्त इलाज पूरी तरह से बंद हो गया है।
दरअसल प्रदेश की सुक्खू सरकार हिमकेयर योजना के तहत लंबित अनुदान का भुगतान नहीं कर पा रही है। जिसके चलते अब निर्धन लोगों के पास हिमकेयर कार्ड तो हैं, पर उन्हें इनका लाभ नहीं मिल रहा है। अस्पतालों में लोग इन कार्ड को हाथ में लेकर यहां वहां भटकने को मजबूर हो रहे हैं। जो मरीज मुफ्त या रियायती इलाज की उम्मीद लेकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं, उन्हें अब अपनी जेब से महंगे इलाज का खर्च उठाना पड़ रहा है।
आईजीएमसी में रोजाना औसतन 2,000 से 2,500 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जबकि रिपन अस्पताल में यह संख्या 1,000 से अधिक है। इनमें से सैकड़ों मरीज हिमकेयर और आयुष्मान कार्ड धारक हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों में इन योजनाओं के तहत न तो दवाइयां दी जा रही हैं और न ही जरूरी मेडिकल उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
एक मरीज ने बताया कि मेरे पास हिमकेयर कार्ड है, लेकिन अस्पताल में कोई सुविधा नहीं मिल रही। दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। अगर यही हाल रहा, तो गरीब लोग इलाज कैसे करवाएंगे।
अस्पताल प्रशासन ने साफ किया है कि राज्य सरकार की ओर से कई महीनों से अनुदान राशि नहीं मिली है, जिसके चलते अस्पतालों के पास मरीजों को मुफ्त इलाज देने के लिए फंड नहीं बचा है। सूत्रों के अनुसार हिमकेयर और आयुष्मान योजनाओं के तहत कई करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। दवाइयां और मेडिकल उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनियों ने भी चेतावनी दी है कि जब तक भुगतान नहीं किया जाता, वे नई सप्लाई नहीं भेजेंगी। अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को इस संकट के बारे में लिखित जानकारी दे दी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया।
आईजीएमसी की ही तरह रिपन अस्पताल में भी हालात गंभीर बने हुए हैं। अस्पताल के भीतर केवल वे ही दवाएं दी जा रही हैं जो पुरानी स्टॉक में बची हुई हैं। नई मेडिकल सप्लाई रुकने के कारण कई मरीजों को बाहर की दुकानों से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं के ठप होने पर विपक्ष ने कांग्रेस सरकार पर सीधा हमला बोला है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्तासीन सुक्खू सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं का बजट घटा दिया गया है और अस्पतालों की लंबित देनदारियां महीनों से अटकी हुई हैं। वहीं पूर्व स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि सरकार की वित्तीय उदासीनता के कारण मरीजों का जीवन खतरे में पड़ रहा है। जो योजनाएं गरीब परिवारों के लिए जीवनरेखा बनीं थीं, अब वे कागज़ों तक सीमित रह गई हैं।
