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शिमला, 20 सितंबर। पशुपालन क्षेत्र को सुदृढ़ करने और ग्रामीण क्षेत्रों में त्वरित पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश सरकार ने "पशु मित्र नीति-2025" लागू की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत शुरुआती चरण में 1000 युवाओं को प्रशिक्षण देकर गांव-गांव में पशु मित्र नियुक्त किए जाएंगे।
पशुपालन विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की पहल से शुरू हुई यह योजना न केवल पशुओं के स्वास्थ्य व नस्ल सुधार में कारगर सिद्ध होगी, बल्कि ग्रामीण युवाओं को रोजगार व आय का स्थायी स्रोत भी प्रदान करेगी।
किसान और पशु चिकित्सक के बीच सेतु होंगे "पशु मित्र"
प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पशु चिकित्सालय दूर हैं, वहां पशु मित्र किसान और पशु चिकित्सक के बीच सेतु का कार्य करेंगे। वे पशुओं की जांच, प्राथमिक उपचार, टीकाकरण और पशुपालन से जुड़ी उपयोगी जानकारी घर-द्वार तक पहुंचाएंगे।
प्रतिदिन चार घंटे काम, पांच हजार रुपये मानदेय
नियुक्त पशु मित्रों को चार घंटे कार्य के लिए प्रतिमाह पांच हजार रुपये मानदेय मिलेगा। उनका कार्यक्षेत्र स्थानीय होगा और उनका स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। चयनित उम्मीदवारों को शारीरिक परीक्षा से गुजरना होगा, जिसमें 25 किलो वजन उठाकर 100 मीटर की दूरी एक मिनट में तय करनी होगी।
महिला पशु मित्रों को मातृत्व अवकाश
योजना के अनुसार, पशु मित्रों को प्रतिवर्ष अधिकतम 12 अवकाश मिलेंगे। महिला पशु मित्रों को दो से कम बच्चों की स्थिति में 180 दिन मातृत्व अवकाश और गर्भपात की स्थिति में 45 दिन का अवकाश भी दिया जाएगा।
चयन प्रक्रिया पर नजर रखेगी समिति
इसके लिए पशु मित्र नियुक्ति समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता उपमंडल अधिकारी या उनके प्रतिनिधि करेंगे। समिति चयन और कार्यप्रणाली पर निगरानी रखेगी।
समुदाय आधारित पशुपालन को मिलेगी नई दिशा
पशु मित्र न केवल पशुपालन विभाग की गतिविधियों से जुड़े रहेंगे, बल्कि ग्रामीणों को मानव-पशु संघर्ष, बेसहारा पशुओं की समस्या और विभागीय योजनाओं के बारे में भी जागरूक करेंगे। प्रदेश सरकार का मानना है कि यह योजना रोजगार, पशुधन संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी की दिशा में एक बड़ी पहल है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को नई मजबूती देगी।
