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शिमला, 20 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 163-ए से जुड़े विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। सर्वोच्च न्यायालय ने फिलहाल उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए 'यथास्थिति' बनाए रखने का निर्देश दिया। यह आदेश राज्य के किसानों और बागवानों के लिए राहत का संदेश लेकर आया है।
यह मामला पूर्व महासचिव हिमाचल किसान सभा डॉ. ओंकार सिंह शाद द्वारा दायर याचिका से जुड़ा था। डॉ. शाद ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें धारा 163-ए को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया गया था। 5 अगस्त, 2025 को हिमाचल उच्च न्यायालय ने पूनम गुप्ता बनाम राज्य सरकार मामले में इस प्रावधान को खत्म करने और सभी अतिक्रमणों के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस आदेश को रोकते हुए कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई बाद में की जाएगी। इस सुनवाई के बाद ही हिमाचल प्रदेश के किसानों और भूमि राजस्व प्रशासन से जुड़ी परिस्थितियों का भविष्य तय होगा।
इस फैसले से राज्य के कृषि और बागवानी समुदाय को अस्थायी राहत मिली है और भूमि से जुड़े मामलों में जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं होगी।
