न्यूज अपडेट्स
शिमला, 17 सितंबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने सरकार को आदेश दिए हैं कि इन शिक्षकों को वर्ष 2016 को आधार मानते हुए नियमित किया जाए। जस्टिस सत्येन वैध की खंडपीठ ने मनोज कुमार शर्मा व अन्य याचिकाकर्ताओं की अर्जी स्वीकारते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट के इस आदेश से प्रदेश के करीब 1321 कंप्यूटर शिक्षकों को सीधा लाभ मिलेगा।
लंबे समय से लड़ रहे थे अधिकारों की लड़ाई
अदालत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता बीते कई वर्षों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और राज्य सरकार की निष्क्रियता के चलते अब अदालत को रिट क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करना पड़ा। अदालत ने राज्य सरकार के तर्कों को खारिज कर दिया और याचिका को स्वीकार कर लिया।
दो दशक से अधिक समय से दे रहे सेवाएं
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत शैक्षणिक सत्र 2000-01 में हुई थी। उस समय राज्य के 234 स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए आईटी विषय को शामिल किया गया। तभी से ये शिक्षक स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त होकर लगातार सेवाएं दे रहे हैं।
पीटीए और पैरा शिक्षकों की तर्ज पर नियमितीकरण की मांग
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनकी उम्र अब 40 वर्ष से अधिक हो चुकी है, ऐसे में नई भर्तियों में उनके लिए कोई अवसर शेष नहीं रहा। उन्होंने पीटीए, ग्रामीण विद्या उपासक और पैरा शिक्षकों की तरह नियमित किए जाने की मांग की थी। इसी संबंध में उन्होंने जनवरी 2016 में अदालत में याचिका दायर की थी।
सरकार का तर्क खारिज
वहीं, राज्य सरकार ने अदालत में यह तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता स्वतंत्र एजेंसियों के कर्मचारी हैं और उन्हें नियमितीकरण का अधिकार नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि वे केवल प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से ही नियमित पदों पर दावा कर सकते हैं। लेकिन अदालत ने सरकार की इस दलील को नकार दिया और शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया।
