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शिमला, 30 सितंबर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सोमवार को अपने सरकारी आवास ‘ओक ओवर’ से छह अत्याधुनिक मोबाइल फोरेंसिक वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये वैन प्रदेश में आपराधिक घटनाओं की जांच को आधुनिक और तेज बनाने में मददगार साबित होंगी।
पहले चरण में इन मोबाइल फोरेंसिक वैन को जिला फोरेंसिक इकाइयों बद्दी, नूरपुर और बिलासपुर, जुन्गा स्थित राज्य फोरेंसिक प्रयोगशाला तथा धर्मशाला और मंडी स्थित क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में तैनात किया जाएगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने फोरेंसिक साक्ष्य संग्रह, संरक्षण और भंडारण से जुड़ी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी लॉन्च की। साथ ही आपराधिक घटनास्थल पर कार्य करने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए विशेष जैकेट का भी अनावरण किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन अत्याधुनिक वाहनों से जांच अधिकारियों को घटनास्थल पर ही साक्ष्य एकत्रित करने, संरक्षित करने और वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण करने में सुविधा मिलेगी। इससे न्यायिक प्रक्रिया और भी सशक्त होगी और दोषियों को सजा दिलाने की दर में वृद्धि होगी।
प्रत्येक वैन की कीमत 65 लाख रुपये है और इनमें ड्रग व विस्फोटक पहचान प्रणाली, डीएनए सैम्पलिंग किट, फिंगरप्रिंट व फुटप्रिंट डेवलपमेंट किट, रेफ्रिजरेशन यूनिट, पोर्टेबल जनरेटर, साइबर फोरेंसिक सॉफ्टवेयर, हाई-रेजोल्यूशन डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम, माइक्रोस्कोप, जीपीएस युक्त कैमरे, डीएसएलआर कैमरा और सीसीटीवी सहित अन्य अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन मोबाइल प्रयोगशालाओं का मुख्य उद्देश्य फोरेंसिक साक्ष्यों का तत्काल और दोषमुक्त संग्रह सुनिश्चित करना है। समय पर साक्ष्य जुटाने से जांच प्रक्रिया न केवल तेज होगी बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी। उन्होंने इसे अपराध साबित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि फोरेंसिक सेवा निदेशालय अब राज्य के साथ-साथ सीबीआई, एनआईए और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच में भी सहयोग कर रहा है।
इस अवसर पर विधायक संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, डीजीपी अशोक तिवारी, फोरेंसिक सेवा निदेशालय की निदेशक डॉ. मीनाक्षी महाजन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
