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शिमला, 01 सितंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र विपक्ष और सरकार के बीच तीखी तकरार का गवाह बना। देहरा उपचुनाव को लेकर उठे कैश फॉर वोट विवाद ने एक बार फिर सदन का माहौल गरमा दिया। विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि आचार संहिता के दौरान महिला मंडलों और 1000 महिलाओं को 4500 रुपये प्रति महिला के हिसाब से वित्तीय लाभ पहुंचाया गया। यही नहीं, इस पूरे मामले को छुपाने के लिए विपक्षी विधायकों द्वारा सदन में पूछे गए प्रश्नों को सूची से हटा दिया गया।
भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने आरोप लगाया कि देहरा उपचुनाव में कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के माध्यम से 68 महिला मंडलों को पैसे बांटे गए। उन्होंने कहा कि इस मामले में जानकारी छुपाने की कोशिश की जा रही है और मुख्यमंत्री की साख बचाने के लिए सदन में प्रश्नों को दबा दिया गया। सुधीर शर्मा ने यह भी कहा कि उन्होंने इस पूरे मामले का ब्यौरा RTI के जरिए हासिल कर लिया है, लेकिन सदन में जानकारी साझा नहीं की जा रही।
इसी तरह, भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल ने आरोप लगाया कि उनकी ओर से एक्साइज नीति को लेकर पूछा गया प्रश्न भी सूची से हटा दिया गया, जबकि वह कल तक कार्यसूची में मौजूद था। उनका कहना था कि रूल नंबर 52 और 53 के तहत बिना सदस्य की अनुमति के प्रश्न को लिस्ट से हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार अपनी एक्साइज नीति और उससे होने वाले रेवेन्यू को लेकर जानकारी क्यों छिपा रही है।
वहीं, इस मुद्दे पर भाजपा विधायक आशीष शर्मा ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देहरा उपचुनाव से जुड़े गंभीर आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को आश्वासन दिया है कि प्रश्नों की जांच की जाएगी और अगर कोई गलती हुई होगी तो उसे दुरुस्त किया जाएगा। लेकिन फिलहाल यह मामला न केवल सदन बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति में गरमा गया है।
