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हिमाचल: कंडक्टर भर्ती मामले में हाई कोर्ट ने राज्य के बाहर के उम्मीदवार की याचिका खारिज, यहां जानें पूरा मामला

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शिमला, 02 सितंबर। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कंडक्टर भर्ती मामले में हिमाचल प्रदेश से बाहर की एक उम्मीदवार की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने भर्ती विज्ञापन में निर्धारित पात्रता मानदंडों की जानकारी होने के बावजूद आवेदन किया और लिखित परीक्षा में भी भाग लिया था। ऐसे में अब उन्हें अपनी उम्मीदवारी खारिज होने के बाद भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने का अधिकार नहीं है।

अदालत ने हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी रद्द करने के फैसले को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि उम्मीदवारों को आवेदन करने से पहले विज्ञापन में उल्लिखित सभी पात्रता मानदंडों को ध्यान से पढ़ना और उनका पालन करना चाहिए, क्योंकि बाद में चयन प्रक्रिया को चुनौती देने का उनका अधिकार सीमित हो जाता है।

हरियाणा निवासी याचिकाकर्ता ने हिमाचल पथ परिवहन निगम में कंडक्टर के 360 पदों के लिए जारी विज्ञापन के तहत आवेदन किया था। विज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन पदों के लिए केवल वही उम्मीदवार पात्र होंगे जिन्होंने हिमाचल प्रदेश के किसी स्कूल, संस्थान से 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो या जो हिमाचल प्रदेश के निवासी हों। याचिकाकर्ता ने दोनों में से कोई भी शर्त पूरी नहीं की और ऑनलाइन आवेदन जमा कर दिया, जिसे अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया गया। उसके बाद याचिकाकर्ता ने लिखित परीक्षा दी जिसमें वह सफल भी रहीं, लेकिन अंतिम मेरिट सूची तैयार करते समय उसकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित कर दिया गया, क्योंकि वे निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती थीं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में तर्क दिया कि एचआरटीसी के भर्ती और पदोन्नति नियमों में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि उम्मीदवार को हिमाचल प्रदेश से 10वीं और 12वीं पास होना चाहिए या बोनाफाइड हिमाचली होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक इस पद के लिए आवेदन कर सकता है। याचिकाकर्ता का कहना था कि चूंकि भर्ती के नियम विज्ञापन से अलग थे, इसलिए उनकी उम्मीदवारी को रद्द नहीं किया जाना चाहिए था। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने विज्ञापन में दी गई पात्रता शर्तों को जानने के बावजूद आवेदन किया था। कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन आवेदन बड़ी संख्या में आते हैं, और आयोग शुरुआत में सभी योग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में बैठने की अनुमति दे देता है, लेकिन दस्तावेजों की जांच बाद में की जाती है।

अदालत ने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने विज्ञापन में निर्धारित शर्तों के आधार पर आवेदन किया और लिखित परीक्षा में भाग लिया, तो अब उन्हें अपनी उम्मीदवारी खारिज होने के बाद भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया, जिनमें यह स्थापित किया गया है कि जो उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं और असफल होने के बाद इसे चुनौती देते हैं, उनकी याचिकाएं स्वीकार्य नहीं हैं।

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