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बिलासपुर, 25 सितंबर। बिलासपुर जिले की कुछ ग्राम पंचायतों में लंबित शिकायतों और अधिकारियों के सुस्त रवैये पर सरकार ने गंभीर चिंता जताई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव ने एक शिकायत पर संज्ञान लेते हुए तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने निदेशक पंचायती राज विभाग से मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इसके साथ ही उप निदेशक ने भी जिला प्रशासन को मामले से अवगत कराया है।
जिला पंचायत अधिकारी, जिला विकास अधिकारी और अतिरिक्त उपायुक्त के कार्यालय में कई शिकायतें लंबित पड़ी हैं। इनमें ग्राम पंचायत रोहिण, बकरोआ और औहर से जुड़े मामले शामिल हैं। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं। उनका कहना है कि दोषी जनप्रतिनिधियों को आगामी चुनावों में संरक्षण दिया जा रहा है।
लंबित शिकायतों के प्रमुख मामले
ग्राम पंचायत बकरोआ में कामन सर्विस सेंटर और सीसीटीवी कैमरों से जुड़ी शिकायतें विचाराधीन हैं। सीसीटीवी कैमरों की स्थापना पर लगभग साठ हजार रुपये खर्च किए गए थे। इसी पंचायत में मनरेगा की रिकवरी और एफआईआर दर्ज करने का मामला खंड विकास अधिकारी के कार्यालय में लंबित है। अधिकारियों ने अभी तक इन मामलों पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
ग्राम पंचायत औहर के उप प्रधान के खिलाफ कार्रवाई का मामला
तीन महीनों से अधिक समय से लटका हुआ है। ग्राम पंचायत रोहिण के प्रधान और साबका प्रधान के खिलाफ भी शिकायत दर्ज है। कीरतपुर-नेरचौक सड़क निर्माण में आए मकान के मुआवजे का मामला भी विवादों में घिरा हुआ है। मुआवजा आवंटन के बाद भी मौके पर कार्य नहीं हुआ है।
उच्च स्तर से जारी हुए निर्देश
मुख्यमंत्री कार्यालय और पंचायती राज विभाग के उप निदेशक ने संयुक्त रूप से कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। दोनों कार्यालयों ने पत्रों की प्रतिलिपियां प्रार्थी और जिला पंचायत अधिकारी को भेजी हैं। इन निर्देशों में सभी लंबित मामलों की शीघ्र जांच और निपटान पर जोर दिया गया है। अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्थानीय निवासियों ने सरकार के इस हस्तक्षेप का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे लंबित मामलों का निपटारा जल्द हो सकेगा। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई होगी। सरकार का यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।