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नई दिल्ली, 12 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत को मानहानि के मामले में कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। यह मामला किसान आंदोलन के दौरान किए गए एक ट्वीट से जुड़ा है। अदालत ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह केवल रीट्वीट नहीं था, बल्कि कंगना की अपनी टिप्पणी भी शामिल थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कंगना की याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए साफ किया कि ट्वीट की सामग्री पर टिप्पणी करना ट्रायल को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली।
दरअसल, 2021 में किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत ने एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए एक बुजुर्ग महिला प्रदर्शनकारी की तस्वीर साझा की थी। इस पर उन्होंने टिप्पणी की थी कि यह वही दादी हैं जिन्हें टाइम मैगजीन ने शक्तिशाली महिला बताया था और यह “सौ रुपये में उपलब्ध हैं।” इस टिप्पणी के बाद पंजाब की 73 वर्षीय महिंदर कौर ने बठिंडा की अदालत में मानहानि का मामला दर्ज किया।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जांच के बाद पाया कि कंगना का कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत मानहानि का अपराध बनता है। इसके खिलाफ कंगना ने पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई।
सुप्रीम कोर्ट में कंगना की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि उन्होंने पहले ही स्पष्टीकरण दे दिया था और पंजाब जाकर पेश होना भी उनके लिए समस्या है। हालांकि अदालत ने कहा कि स्पष्टीकरण निचली अदालत में दिया जा सकता है।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि कंगना ने सिर्फ रीट्वीट नहीं किया था बल्कि अपनी टिप्पणी जोड़कर मसाला लगाया था। अदालत ने आगे बहस करने पर रोक लगाते हुए कहा कि इससे उनके बचाव पक्ष को नुकसान हो सकता है।
ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया से रिपोर्ट भी मांगी गई थी, लेकिन कंपनी ने जवाब नहीं दिया। अदालत ने कहा कि यह कंपनी केवल मार्केटिंग और रिसर्च का काम करती है, इसलिए रिपोर्ट न आने को मजिस्ट्रेट आदेश के खिलाफ नहीं माना जा सकता।
इस तरह, सुप्रीम कोर्ट ने कंगना रनौत को किसी भी तरह की राहत देने से साफ इनकार कर दिया और उनकी याचिका पूरी तरह खारिज कर दी।
