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शिमला, 13 अगस्त। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज शिक्षा विभाग की एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें शिक्षकों के स्थानांतरण, सेवानिवृत्ति और पदोन्नति से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव पर चर्चा की जाएगी। बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा कि ये सभी प्रक्रियाएं साल में केवल एक बार, शैक्षणिक सत्र के अंत यानी 31 मार्च के आसपास ही हों, ताकि छात्रों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर न पड़े।
शिक्षण व्यवस्था ऐसे होती है बाधित
बतौर रिपोर्टर, राज्य सरकार का मानना है कि बीच सत्र में शिक्षक की ट्रांसफर, प्रमोशन या रिटायरमेंट से स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था बाधित हो जाती है। कई बार किसी शिक्षक के स्थानांतरण के बाद उस पद पर लंबे समय तक कोई नया शिक्षक तैनात नहीं होता, जिससे विशेष रूप से जनजातीय क्षेत्रों के स्कूल सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। पदोन्नति को लेकर भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि प्रमोशन मिलने के साथ ही शिक्षक को वर्तमान स्टेशन छोड़ना अनिवार्य होता है। इसका मतलब है कि बीच सत्र में पदोन्नति होने पर भी स्कूल खाली हो सकता है।
एकीकृत शेड्यूल लागू करने पर विचार
इसी तरह, सत्र के दौरान रिटायरमेंट भी कई बार स्कूल को बिना शिक्षक के छोड़ देती है, खासकर उन प्राथमिक विद्यालयों में, जो एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहे होते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार एकीकृत शेड्यूल लागू करने पर विचार कर रही है। जिसके तहत सभी ट्रांसफर, प्रमोशन और रिटायरमेंट प्रक्रियाएं मार्च के अंत में ही पूरी की जाएं। इससे नए सत्र की शुरुआत एक स्थिर स्टाफ व्यवस्था के साथ हो सकेगी और बच्चों की पढ़ाई में रुकावट नहीं आएगी।
बजट भाषण में की गई घोषणाओं का भी रिव्यू
बैठक में मुख्यमंत्री सुक्खू इस साल के बजट भाषण में की गई घोषणाओं की प्रगति की भी समीक्षा करेंगे। वे अधिकारियों को बजट प्रावधानों को समयबद्ध तरीके से लागू करने के निर्देश देंगे। साथ ही, शिक्षा विभाग की उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण होगा और राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल योजना सहित स्कूल एवं उच्च शिक्षा में सुधार के प्रस्तावों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
