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शिमला, 10 अगस्त। हिमाचल प्रदेश से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां शातिरों ने एक सरकारी विभाग की वेबसाइट को हैक कर उसमें सीएम राहत कोष बना डाला। इतना ही नहीं इस सीएम राहत कोष में अपना बैंक अकाउंट और क्यूआर कोड भी डाल दिया। ताकि सीएम राहत कोष में मदद भेजने वालों की राशि सीधे उनके खाते में आ जाए। यह वेबसाइट हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग की है।
हैकर ने अपना बैंक खाता और क्यूआर कोड डाला
दरअसल हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग की आधिकारिक वेबसाइट को साइबर हमलावरों ने निशाना बनाते हुए हैक कर लिया। इस गंभीर साइबर अपराध में अज्ञात व्यक्ति ने वेबसाइट पर मुख्यमंत्री राहत कोष के नाम से एक फर्जी वेबपेज बना दिया। खास बात यह रही कि इस पेज में ठग ने अपना बैंक खाता नंबर और क्यूआर कोड डालकर लोगों से सीधे धनराशि मांगनी शुरू कर दी।
इस समय राज्य आपदा की स्थिति से जूझ रहा है, और हजारों लोग मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देकर मदद करना चाह रहे हैं। ऐसे में ठगी की इस वारदात से यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि कई लोग इस फर्जी खाते में पैसा ट्रांसफर कर चुके होंगे, यह सोचकर कि वे सही जगह दान कर रहे हैं।
15 दिन बाद की गई पुलिस में शिकायत
हैरानी की बात यह है कि उद्योग विभाग को इस हैकिंग की जानकारी 26 जुलाई को मिली, लेकिन विभाग ने 9 अगस्त को जाकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। इस बीच विभाग ने अपने स्तर पर जांच करने की कोशिश की और वेबसाइट को अस्थाई रूप से बंद भी कर दिया। 28 जुलाई तक वेबसाइट बंद रही और 29 जुलाई को दोबारा चालू की गई।
कर्मचारी ने खुद ट्रांजेक्शन कर जांचा फर्जी खाता
मामले की पुष्टि उस वक्त हुई जब विभाग की एक कर्मचारी, सुष्मिता शर्मा ने संदिग्ध बैंक खाते में एक रुपये का ट्रांजेक्शन करके देखा। यह ट्रांजेक्शन सफल रहा, जिससे साफ हो गया कि वेबसाइट पर दर्शाया गया बैंक खाता सक्रिय है और उसमें पैसा ट्रांसफर हो सकता है। इससे फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई।
फर्जी खाते में कितनी राशि जमा हुई, जानकारी नहीं
उद्योग विभाग के अनुसार उन्हें अभी तक इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कितने लोगों ने इस फर्जी खाते में पैसे जमा किए हैं। चूंकि यह अवधि 15 दिन से अधिक की रहीए ऐसे में ठगी की राशि लाखों में पहुंच सकती है।
मैहली डाटा सेंटर से मिली जानकारी
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब विभाग के मैहली स्थित डाटा सेंटर के कर्मचारी अंकुश भारद्वाज ने वेबसाइट पर संदिग्ध गतिविधि की जानकारी दी। इसके बाद उपनिदेशक तिलक राज की ओर से छोटा शिमला थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाई गई।
पुलिस ने शुरू की जांच, साइबर सेल सक्रिय
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। साइबर सेल को इस हैकिंग की जांच में लगाया गया है और यह भी पता लगाया जा रहा है कि फर्जी खाता किसके नाम पर खोला गया है और कहां से ऑपरेट किया जा रहा है। पुलिस संबंधित बैंक से भी संपर्क कर रही है ताकि अकाउंट होल्डर की पहचान की जा सके।
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
इस घटना से राज्य सरकार और उसके आईटी सिस्टम की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी संवेदनशील वेबसाइटों पर हैकिंग से बचने के लिए नियमित ऑडिट और सिक्योरिटी अपडेट्स जरूरी होते हैं, जो संभवतः इस मामले में नहीं किए गए। इस घटना ने न केवल सरकारी सिस्टम की साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, बल्कि उन दानदाताओं को भी झटका दिया है, जो अपनी मेहनत की कमाई सही जगह लगाने की मंशा से मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करना चाहते थे।
