शिमला, 03 अगस्त। प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं से सबक लेते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार अब प्री.डिजास्टर मैनेजमेंट और अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूती देने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। राज्य में भारी बारिश, भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने जैसी घटनाएं लगातार नुकसान पहुंचा रही हैं। ऐसे में समय रहते चेतावनी देने वाला तंत्र विकसित करना अब सरकार की प्राथमिकता बन चुका है।
जापान कोरिया की तकनीक करेंगे लागू
इस दिशा में हाल ही में एक बड़ा प्रयास उस समय हुआ जब प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शहरी विकास विभाग की एक टीम के साथ जापान और दक्षिण कोरिया का दौरा किया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने दोनों देशों के आपदा प्रबंधन मॉडल, तकनीकी व्यवस्था, अर्ली वार्निंग सिस्टम और राहत कार्यों की कार्यप्रणाली का गहन अध्ययन किया।
हिमाचल को मिलेगा नया रोडमैप
विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि जापान और दक्षिण कोरिया ने दशकों पहले ही आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक प्रणाली पर आधारित डिजास्टर मैनेजमेंट सिस्टम विकसित कर लिए हैं, जिससे समय रहते जनजीवन को आपदाओं से बचाया जा सकता है। हमने इन देशों से सीखी गई तकनीकी जानकारी और रणनीतियों को हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार ढालने की योजना बनाई है।
केंद्र से मांगेंगे सहयोग
उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल सरकार केंद्र सरकार से मिलकर प्रदेश में अर्ली वार्निंग सिस्टम की स्थापना के लिए सहयोग प्राप्त करने की दिशा में कार्य कर रही है। इससे प्रदेश में संभावित आपदाओं से पहले अलर्ट जारी कर जन.धन की हानि को न्यूनतम किया जा सकेगा।
नदी.नालों के किनारे निर्माण पर रोक
प्रदेश सरकार ने पर्यावरणीय असंतुलन और बेतरतीब निर्माण को भी आपदाओं का बड़ा कारण माना है। इसी के मद्देनज़र अब नदी और नालों के समीप सरकारी भवनों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार इसे आगे चलकर निजी और व्यवसायिक निर्माण पर भी लागू करने की योजना बना रही है। साथ ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग नियमों में व्यापक संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ताकि निर्माण कार्यों को अधिक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके।
ग्लोबल वार्मिंग के असर से सतर्क हुआ हिमाचल
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ने प्रदेश की जलवायु प्रणाली को अस्थिर कर दिया है, जिससे अचानक मौसम बदलने, भारी वर्षा और भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में सिर्फ आपदा के बाद राहत कार्यों पर ध्यान देने की बजाय, हमें समय रहते लोगों को जागरूक और सुरक्षित करना होगा।
जनहित में लिए जा रहे फैसले
हिमाचल सरकार द्वारा उठाए जा रहे ये कदम न केवल मौजूदा संकट को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आने वाले वर्षों में प्रदेश को अधिक सुरक्षित, सतर्क और जलवायु के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।