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शिमला, 25 जुलाई। हिमाचल प्रदेश के शिमला में IGMC अस्पताल की इमरजेंसी सेवाओं पर गंभीर सवाल उठे हैं। आस 24 न्यूज के डायरेक्टर लीलाधर चौहान ने अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के दो डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी मां को दिल का दौरा पड़ने के बाद समय पर इलाज नहीं मिला, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई। चौहान ने बताया कि उनकी मां को नेरचौक मेडिकल कॉलेज से IGMC शिमला रेफर किया गया था, लेकिन यहां भी उचित इलाज में देरी हुई।
इमरजेंसी में लापरवाही का आरोप
लीलाधर चौहान ने बताया कि उनकी मां को IGMC शिमला की इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि दो डॉक्टरों ने उनकी मां का इलाज शुरू करने में देरी की। चौहान ने कहा कि वह और उनके परिवार वाले बार-बार डॉक्टरों से इलाज शुरू करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि वह इमरजेंसी में एक घंटे तक इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन जिम्मेदार डॉक्टर टालमटोल करते रहे।
वीडियो बनाया, तब शुरू हुआ इलाज
चौहान ने दावा किया कि उन्होंने जब इमरजेंसी की स्थिति का वीडियो बनाना शुरू किया, तब जाकर डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया। हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि उनकी मां को दूसरा दिल का दौरा पड़ा और समय पर इलाज न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। चौहान ने यह भी आरोप लगाया कि इमरजेंसी में ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने की वजह से स्थिति और बिगड़ गई।
अस्पताल प्रशासन पर भी सवाल
लीलाधर चौहान ने IGMC के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (MS) कार्यालय में शिकायत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन सुबह 10:45 बजे MS उपलब्ध नहीं थे। उन्होंने बताया कि मां की मृत्यु के बाद भी अस्पताल स्टाफ ने परेशान किया। मृत शरीर को ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं कराया गया। चौहान ने कहा कि जब उन्होंने इसकी लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की, तब जाकर स्ट्रेचर दिया गया। इसके अलावा, उनका आधार कार्ड और भाई के पैसे भी वापस नहीं किए गए।
दाखिले के बाद मिला सहयोग, पर देर हो चुकी थी
चौहान ने बताया कि उनकी मां का दाखिला होने के बाद एक डॉक्टर ने सहयोग दिखाया, लेकिन तब तक स्थिति बिगड़ चुकी थी। उन्होंने कहा कि अगर समय पर इलाज शुरू होता, तो शायद उनकी मां को बचाया जा सकता था। यह मामला IGMC शिमला की इमरजेंसी सेवाओं की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।