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शिमला, 17 जून। हिमाचल प्रदेश में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) जैसे ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारियों के लिए अब पेंशन व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। अब तक इन अधिकारियों पर नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) लागू था, लेकिन केंद्र सरकार के ताज़ा निर्देशों के आधार पर अब राज्य सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है।
केंद्र से भेजे गए थे पत्र
हिमाचल सरकार ने यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए पत्रों के आधार पर लिया गया है। केंद्र ने पहले 19 मार्च 2025 और फिर 30 अप्रैल 2025 को एक विस्तृत पत्र जारी कर सभी राज्यों को निर्देशित किया था कि 1 अप्रैल 2025 से UPS को लागू किया जाए। उसी के अनुपालन में हिमाचल सरकार के वित्त विभाग ने भी सोमवार को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया, जिसमें इस नई पेंशन स्कीम की स्पष्ट गाइडलाइंस दी गई हैं।
क्या है बदलाव?
इस नए आदेश के तहत अब NPS को हटाकर UPS लागू किया गया है। हालांकि यह बदलाव केवल ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारियों पर लागू होगा, जिनकी सेवा की शुरुआत 18 नवंबर 2009 के बाद NPS के अंतर्गत हुई थी। UPS लागू होने के बाद सभी संबंधित अधिकारियों को एक नई ऑप्शन फॉर्म भरनी होगी, जिसे हेड ऑफ ऑफिस और संबंधित ट्रेजरी के माध्यम से प्रोसेस किया जाएगा।
राज्य कर्मचारियों पर नहीं पड़ेगा असर
गौर करने वाली बात यह है कि राज्य सरकार के अधीन आने वाले बाकी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) पहले से ही लागू है, जिसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सत्ता में आने के बाद फिर से बहाल किया था। वित्त विभाग द्वारा जारी इस नए मेमोरेंडम में OPS से जुड़े किसी भी प्रावधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
हिमाचल सरकार का यह कदम केंद्र की पेंशन नीति के अनुरूप एक बड़ी और जरूरी पहल मानी जा रही है। इससे जहां राज्य के ऑल इंडिया सर्विसेज अफसरों को नई व्यवस्था के तहत काम करने का अवसर मिलेगा, वहीं उनके लिए पेंशन प्रक्रिया और भी अधिक पारदर्शी और संगठित होगी। OPS पहले की तरह जारी रहेगा, जिससे राज्य के बाकी कर्मचारियों पर इस निर्णय का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
UPS क्यों जरूरी?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम, केंद्र सरकार द्वारा NPS की जगह शुरू की गई एक नई प्रणाली है, जिसका उद्देश्य पेंशन प्रणाली को अधिक समन्वित, पारदर्शी और सुसंगत बनाना है। UPS में कुछ ऐसे सुधारात्मक प्रावधान हैं जो कर्मचारियों को ज्यादा स्थायित्व और लाभ देने की दिशा में हैं।