मैं कार्यक्रमों का मंत्री हूं, ट्रोल होने लगूंगा - ऐसा क्यों बोल गए डिप्टी CM, यहां जानें वजह

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शिमला, 17 मई। हिमाचल प्रदेश की सियासत में अंदरूनी दरारें एक बार फिर सतह पर आती दिख रही हैं। मौका था शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विधि अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित “सांस्कृतिक एवं साहित्यिक महोत्सव” का, जहां प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। मंच पर आते ही उन्होंने जो कहा वह केवल एक औपचारिक भाषण नहीं था, बल्कि उनके भीतर की सालों से पलती राजनीतिक टीस का एक खुला बयान था।

अग्निहोत्री ने मंच से कहा,

"आपको पता है, मैं तो कार्यक्रमों का मंत्री हूं... अब मैं कहूं कि मैं मेलों का मंत्री हूं, मंदिरों का मंत्री हूं, पानी का मंत्री हूं, बसों का मंत्री हूं, तो कई लोग ट्रोल करने लगते हैं। लेकिन राजनीति में गेंडे की खाल रखनी पड़ती है। कोई कुछ कहता रहे, आप अपने पथ पर चलते रहो।"

यह बात न केवल उनके आत्मविश्वास की झलक देती है, बल्कि उन आलोचनाओं की ओर इशारा भी करती है जो उन्हें भीतर ही भीतर चुभती आई हैं। मंच से यह 'नरम लेकिन तीखा' व्यंग्य, हिमाचल कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान की एक और परत खोलता है।

पहले भी कर चुके हैं इशारा

कुछ ही दिन पहले डिप्टी सीएम की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। उन्होंने लिखा था- "साजिशों का दौर... झूठ के पांव नहीं होते।" इस पोस्ट को लेकर तब अटकलें तेज़ हो गईं कि क्या प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? क्या डिप्टी सीएम की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है?

संगठन में सर्जरी और दूसरी परछाइयां

यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब हिमाचल कांग्रेस संगठनात्मक स्तर पर सर्जरी से गुजर रही है। पंचायत चुनावों से पहले संगठन को मज़बूत करने की कोशिश हो रही है चेहरे बदले जा रहे हैं, समीकरण बदले जा रहे हैं। ऐसे में डिप्टी सीएम का नाराज होना या अपनी उपेक्षा का इशारा देना, सीधे तौर पर नेतृत्व की ओर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

विक्रमादित्य का समर्थन

डिप्टी सीएम के सुर में सुर मिलाते हुए विक्रमादित्य सिंह ने भी फेसबुक पर एक भावुक लेकिन राजनीतिक रूप से वजनी पोस्ट की- "जब आपको हराने के लिए लोग कोशिश नहीं, साज़िश करने लगें तो समझ लीजिए आपकी काबिलियत अव्वल दर्जे की है, आप वीरभद्र सिंह स्कूल ऑफ थॉट के शिष्य हैं। न कभी डरना, न डराना।" विक्रमादित्य के इस बयान को अग्निहोत्री के समर्थन में एक खुली घोषणा के रूप में देखा जा रहा है और ये संकेत देता है कि वीरभद्र सिंह गुट एक बार फिर सक्रिय हो चुका है।

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