न्यूज अपडेट्स नेटवर्क
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही 900 करोड़ रुपये का लोन नोटिफाई कर दिया है। यह कर्ज भारत सरकार की ओर से एडहॉक (तदर्थ) परमिशन के आधार पर लिया गया है। सरकार को यह धनराशि इसी सप्ताह राज्य की ट्रेजरी में मिलने की संभावना है, जिससे वित्तीय जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
सैलरी, पेंशन भुगतान के लिए लोन जरुरी
हर महीने की पहली तारीख को सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाता है। लेकिन इस बार 1 अप्रैल को बैंक हॉलिडे होने के कारण यह प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में राज्य सरकार को ट्रेजरी बैलेंस बनाए रखने के लिए अतिरिक्त कर्ज की व्यवस्था करनी पड़ी। यह लोन सरकारी खर्चों को सुचारू रूप से चलाने के लिए लिया गया है।
वित्तीय बजट में भी तय थी कर्ज की जरूरत
राज्य सरकार ने पहले ही अपने बजट में 8769 करोड़ रुपये के कर्ज की आवश्यकता जताई थी। इसके तहत सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेकर चरणबद्ध तरीके से लोन लेना था। आमतौर पर भारत सरकार दिसंबर 2025 तक की अवधि के लिए राज्यों को कर्ज की अधिकतम सीमा तय करके देती है। यह सीमा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) के तीन प्रतिशत के करीब होती है। हालांकि, अभी तक भारत सरकार ने इस साल के लिए हिमाचल प्रदेश की लोन लिमिट को स्पष्ट नहीं किया है, इसलिए तदर्थ आधार पर यह कर्ज लिया गया है।
वित्तीय स्थिति में सुधार की संभावना
राज्य सरकार द्वारा लिया गया यह 900 करोड़ रुपये का लोन इस वित्त वर्ष में मिलने वाली कुल कर्ज सीमा में ही समायोजित किया जाएगा। अगले वित्त वर्ष से 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने वाली हैं, जिससे हिमाचल प्रदेश को कुछ वित्तीय राहत मिलने की उम्मीद है।
यह देखा जाना बाकी है कि केंद्र सरकार राज्य के लिए कितनी ऋण सीमा तय करती है और इससे राज्य की आर्थिक स्थिति को कितना फायदा मिलेगा। बहरहाल, हिमाचल प्रदेश सरकार अपने वित्तीय प्रबंधन को संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। यह नया कर्ज राज्य की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में सहायक साबित हो सकता है।