हिमाचल: वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को दो माह से नहीं मिली दवा और इलाज, राज्यपाल हुए सख्त, CS को रिपोर्ट देने के आदेश

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न्यूज अपडेट्स 
शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित बसंतपुर वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को 2 माह से दवा और इलाज नहीं मिलने पर राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ला ने बड़ी नाराजगी जताते हुए सीएस से रिपोर्ट तलब की है। यह मामला सुक्खू सरकार की अनदेखी से जुड़ा हुआ है। वृद्धाश्रम का संचालन उमंग फाउंडेशन करता है।

सरकारी अनदेखी और लापरवाही से न केवल आश्रम में दाखिल बुजुर्गों की हालत दयनीय हो गई है, वहीं उमंग फाउंडेशन के कर्मचारियों को भी 2 महीने से सैलरी नहीं मिली है। फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने सामाजिक न्याय व अधिकारिता को पत्र लिखकर तुरंत ग्रांट देने की मांग की है। उनका कहना है कि आश्रम में दाखिल एक बुजुर्ग को पेशाब में खून आने की समस्या है, लेकिन एनजीओ के पास उन्हें IGMC ले जाने तक के पैसे नहीं हैं। 

उधार के राशन पर जिंदा बुजुर्ग

वृद्धाश्रम में 5 नियमित, 2 दैनिक भोगी, आउटसोर्स पर 3 सफाई कर्मचारी एवं 4 सिक्युरिटी गार्ड हैं। वहां कुल 50 बुजुर्ग रहते हैं जिनमें से अधिकांश शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं। राशन भी उधार का आ रहा है। इन बुजुर्गों को इलाज के लिए IGMC ले जाने का फंड भी एनजीओ के पास नहीं है।

सीएस से मांगी रिपोर्ट

वृद्धाश्रम की इस हालत पर चिंता जताते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने सीएस को मामले की छानबीन कर तुरंत रिपोर्ट देने को कहा है।

क्यों आई यह नौबत

बसंतपुर के वृद्धाश्रम को 1998 से सरकार के सोशल वेलफेयर बोर्ड से ग्रांट मिल रहा है, जबकि 2024 में केंद्र सरकार ने राज्यों के सोशल वेलफेयर बोर्ड को भंग कर दिया था। ऐसे में वृद्धाश्रम के संचालन का जिम्मा राज्य के सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग को सौंप दिया गया। लेकिन बसंतपुर के मामले में ऐसा नहीं किया गया। यह भेदभाव क्यों किया गया, इस पर राज्य सरकार को जवाब देना है। बसंतपुर वृद्धाश्रम के अध्यक्ष के पत्र में मशोबरा स्थित बालिकाश्रम और टूटीकंडी के बालाश्रम की तरह ही इस वृद्धाश्रम को भी ग्रांट इन की जगह बजट आवंटित करने की मांग की गई है।

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