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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला स्थित घुमारवीं उपमंडल की कोठी पंचायत से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से रोके जाने पर 14 वर्षीय किशोर द्वारा आत्महत्या कर लेने की घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है। नाबालिग की मां ने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी थी, लेकिन वही बात उसकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव बन गई।
मां की डांट के बाद घर में ही लगा लिया फंदा
घटना शुक्रवार देर रात की है। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र ने घर में ही फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने जब उसे लटका देखा तो तत्काल सिविल अस्पताल घुमारवीं ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलते ही घुमारवीं थाना पुलिस मौके पर पहुंची, शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
संवाद की कमी या भावनात्मक दूरी?
बीएमओ डॉ. महेश ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चों के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है। सोशल मीडिया, पढ़ाई, प्रतियोगिता और समाजिक अपेक्षाओं का दबाव बच्चों पर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में अगर अभिभावक उनसे सही संवाद नहीं बना पाए तो परिणाम घातक हो सकते हैं।
पुलिस और विशेषज्ञों की अपील
डीएसपी चंद्रपाल सिंह ने भी अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों के व्यवहार पर लगातार नजर रखें। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी प्रकार के तनाव या बदलाव के संकेत दिखें तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें। बच्चों को सुनने, समझने और स्वीकारने वाला माहौल देना समय की मांग है।
स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा हो जरूरी
स्थानीय लोगों और अभिभावकों का मानना है कि स्कूलों में नियमित काउंसलिंग सेशन होने चाहिए। साथ ही डिजिटल हेल्थ और भावनात्मक बुद्धिमत्ता को भी शिक्षा का हिस्सा बनाया जाए। ताकि बच्चों को तकनीक और जीवन के बीच संतुलन बनाना आ सके।