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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में जल शक्ति विभाग के टेंडरों को लेकर उठे विवाद के बाद सरकार ने कांगड़ा डिविजन में हुए टेंडरों की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री के निर्देशों पर विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ (ईएनसी) ने कांगड़ा जोन के चीफ इंजीनियर को इस मामले की जांच कर जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
विधानसभा में उठा था मामला
इस मुद्दे को शुक्रवार को विधानसभा सत्र के दौरान कांगड़ा के विधायक पवन काजल ने उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांगड़ा डिविजन में टेंडर आवंटन में अनियमितताएं हुई हैं।उनके अनुसार, एक्सईएन (XEN) स्तर पर कुल 1332 टेंडर आवंटित किए गए, जिनमें से 1322 टेंडर ऑफलाइन जारी किए गए, जबकि ऑनलाइन टेंडरिंग प्रक्रिया लागू है। इस पर उप मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश में एक्सईएन को टेंडर देने की शक्तियां वापस लेने की घोषणा की।
टेंडर घोटाले की जांच के निर्देश
शाहपुर और कांगड़ा के लिए वर्तमान में एक ही एक्सईएन कार्यरत है, और उन पर टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरतने के आरोप हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार ने इस पूरे मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, कांगड़ा के लिए अलग एक्सईएन नियुक्त करने की घोषणा भी की गई है।
सभी टेंडर होंगे सेंट्रलाइज्ड
उप मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अब से जल शक्ति विभाग के सभी टेंडरों को केंद्रीयकृत किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और गड़बड़ियों की संभावना न रहे। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों ने मनमानी कर अनियमितताएं फैलाई हैं, जिनकी जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
एक सप्ताह में आएगी रिपोर्ट
विभाग की प्रमुख अंजू शर्मा का कहना है कि सरकार के निर्देश मिलते ही उनके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, कांगड़ा डिविजन में हुए टेंडरों की जांच शुरू हो गई है, और एक सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट उप मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि टेंडर प्रक्रिया में कितनी अनियमितताएं हुई हैं और इसमें कौन-कौन अधिकारी या कर्मचारी दोषी हैं।