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शिमला। एनडीपीएस अधिनियम के तहत चिट्टे के दो मुकदमों में गवाहों के पलट जाने और पुलिस की कहानी से आरोप साबित न हो पाने पर अदालत से चार आरोपियों को बरी कर दिया। घटना के चश्मदीद गवाह अपनी गवाही से पलट गए जिस कारण संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने कुलदीप ठाकुर, पीयूष, अंकित और अरविंद को दोषमुक्त कर दिया।
अदालत ने टिप्पणी की कि अभियोजन पक्ष प्रतिबंधित पदार्थ की बरामदगी को पुष्ट करने के लिए स्वतंत्र गवाहों और पुलिस के बयानों के कथन के साथ मिलाने में विफल रहे। साथ ही पुलिस के बयानों में भी विरोधाभास है। अदालत के समक्ष गवाहों ने दावा किया कि उन्हें पुलिस ने बुलाया और कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। लेकिन, उनकी मौजूदगी में वाहनों की तलाशी नहीं ली गई थी और न ही कोई वसूली की गई।
पहला मामला राजधानी के ढली थाना क्षेत्र में 3 जुलाई 2021 में पंजीकृत किया गया था। स्पेशल सेल की टीम मल्याणा-भट्ठाकुफ्फर रोड पर एचपीएसईबी पावर हाउस के पास एक वाहन को जांच के लिए रोका। इसमें तहसील जिला मंडी के धर्मपुर निवासी अभियुक्त कुलदीप ठाकुर सवार था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटनास्थल पर दो व्यक्तियों को स्वतंत्र गवाहों के रूप में पेश किया गया। इसी दौरान आरोपी के पास से बरामद एक डायरी के अंदर 12.69 ग्राम चिट्टा (हेरोइन) मिला।
इसके बाद आरोपी को ढली थाना पुलिस के हवाले कर चिट्टे की बरामदगी दर्शाकर एफआईआर दर्ज की थी। मामले को साबित करने के लिए पुलिस सहित 14 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। लेकिन पर्याप्त सबूत न होने के कारण विशेष न्यायाधीश दविंदर कुमार ने कुलदीप के खिलाफ दोष सिद्ध नहीं होने पर दंडनीय कथित अपराध के आरोप से दोषमुक्त कर दिया। उल्लेखनीय है कि जब कोई गवाह अपनी गवाही में, उस पक्ष के खिलाफ गवाही देता है जिसके द्वारा उसे बुलाया गया था, या जब वह अपने पहले के बयानों से मुकर जाता है, तो उसे पक्षद्रोही घोषित किया जा सकता है।
चिट्टे मामले में रोहड़ू क्षेत्र के तीन युवक बरी
एनडीपीएस अधिनियम, की धारा 21 और 29 के तहत दूसरा मामला जिले के जुब्बल थाना क्षेत्र में 22 मार्च 2019 में पंजीकृत था। पुलिस टीम ने पटसारी में यातायात गश्त के दौरान एक वाहन की तलाशी में एक लाइटर, एक आधा जला हुआ नोट, फॉयल पेपर सहित प्लास्टिक पैकेट में 5.34 ग्राम हेरोइन (चिट्टा) बरामद किया था।
मामले में 17 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। लेकिन पर्याप्त सबूत न होने के कारण विशेष न्यायाधीश प्रवीण गर्ग ने आरोपी पीयूष, अंकित और अरविंद को आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष किसी भी उचित संदेह से परे मामले को साबित करने में विफल रहा है। इन दोनों मामलों में पुलिस ने गवाहों को पक्षद्रोही घोषित किया है।