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शिमला। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में क्या डेवलेपमेंट है इस बात का पता आप इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रदेश के 127 स्कूलों में एक भी नियमित शिक्षक की तैनाती नहीं है। इन स्कूलों में शिक्षा की प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए, अन्य स्कूलों से अध्यापक डेपुटेशन पर बुलाए जाते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है।
2800 पदों पर फैसला लटका
प्रदेश सरकार ने दो साल पहले 2800 शिक्षकों के पदों को भरने की मंजूरी दी थी, लेकिन राज्य कर्मचारी चयन आयोग के भंग होने के कारण भर्ती प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसके बाद, प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने राज्य लोक सेवा आयोग से पदों को भरने की अपील की, लेकिन वहां से भी प्रस्ताव ठुकरा दिया गया। इसके बाद, स्कूल शिक्षा बोर्ड को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन वहां से भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस कारण शिक्षकों की कमी बनी हुई है और कई स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति कमजोर हो गई है।
दूरदराज क्षेत्रों में शिक्षक जाने के लिए तैयार नहीं
सरकार ने पिछले साल शिक्षकों के युक्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी, ताकि बिना शिक्षकों वाले स्कूलों में शिक्षक तैनात किए जा सकें। हालांकि, इस प्रक्रिया का भी कोई खास असर नहीं हुआ है, क्योंकि ये स्कूल ज्यादातर दूरदराज क्षेत्रों में स्थित हैं और वहां शिक्षक जाने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ रहा है।
127 स्कूलों में एक-एक शिक्षक की तैनाती
प्रदेश सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए एक नई योजना बनाई है, जिसके तहत बिना शिक्षकों वाले 127 स्कूलों में एक-एक शिक्षक तैनात किए जाएंगे। यह निर्णय शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता है। हालांकि, यह कदम भी अस्थायी हो सकता है क्योंकि दूरदराज क्षेत्रों में शिक्षक रहना और काम करना हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है।
स्कूल मर्ज की तैयारी
प्रदेश सरकार ने 1094 छोटे स्कूलों को बंद कर दिया था, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम थी। अब इस साल 78 और स्कूलों को मर्ज करने की योजना है। इसके अलावा, सरकार ने छात्रों की संख्या के आधार पर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति की नई प्रक्रिया शुरू की है। अगर किसी स्कूल में छात्रों की संख्या 10 से कम होती है तो एक शिक्षक नियुक्त किया जाएगा, और 10 से 20 छात्र होने पर दो शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। जनजातीय क्षेत्रों में जहां छात्रों की संख्या 15 से कम होगी, वहां के स्कूलों को बंद किया जाएगा, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह संख्या 25 होगी। प्राइमरी स्कूलों के लिए सामान्य क्षेत्रों में 10 छात्रों की न्यूनतम संख्या तय की गई है, जबकि जनजातीय क्षेत्रों के लिए यह संख्या केवल 5 है।