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शिमला। हिमाचल में जाति, आय व संपत्ति के फर्जी प्रमाणपत्र सत्यापित करने वाले अफसरों के खिलाफ अब भारतीय न्याय संहिता के तहत एफआईआर दर्ज होगी। कार्मिक विभाग ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी कर प्रमाणपत्रों के सत्यापन में कोताही न बरतने की सलाह दी है।
प्रमाणपत्र जारी करने से पहले जाति, राजस्व एवं आय रिकॉर्ड का सही तरीके से सत्यापन करने के लिए कहा गया है। प्रदेश में एससी, एसटी, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के वास्तविक लाभार्थियों को लाभ देने के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है।
कार्मिक विभाग की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया है कि विभिन्न आरक्षण योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को प्रमाणपत्र जारी करने से पहले जिला अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से सत्यापित किया जाए। जो अधिकारी उचित सत्यापन करने में नाकाम रहते हैं या जो फर्जी प्रमाणपत्र जारी करते हैं, उन्हें कड़ी कार्रवाई के प्रति चेताया है। पत्र में 22 जून 1976 और 21 अगस्त, 1999 को जारी परिपत्रों सहित पहले के परिपत्रों का संदर्भ दिया गया है, जिसमें उचित सत्यापन के लिए स्पष्ट निर्देश थे। इसके बावजूद अब कई क्षेत्रों से फर्जी दस्तावेज सत्यापित होने की शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में सरकार ने फिर दोहराया है कि नियुक्ति प्राधिकारी के अनुरोध के एक महीने के भीतर सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो।
जाली दस्तावेजों पर नौकरी लेने वाले होंगे बर्खास्त
नए निर्देशों में विशेष रूप से प्रारंभिक नियुक्ति के समय जाति और आय प्रमाणपत्रों की सत्यता के समय पर सत्यापन के महत्व पर जोर दिया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसे व्यक्तियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा, जिन्होंने जाली दस्तावेजों का उपयोग कर नौकरी प्राप्त की है।