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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू होने के बाद वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ओपीएस को बहाल किया, जिससे अब तक 7,355 से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिला है। पहले इन कर्मचारियों को नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत 3,000 रुपये पेंशन मिलती थी, जो अब बढ़कर 30,000 रुपये हो गई है। इससे कर्मचारियों को आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का मौका मिला है।
‘ओपीएस बहाली के बाद वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए’
सीएम सुक्खू ने कहा कि केंद्र की आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद हिमाचल सरकार आगे बढ़ रही है। उन्होंने घोषणा की कि लोक निर्माण विभाग के सभी ठेकेदारों की देनदारियां एक सप्ताह के भीतर जारी कर दी जाएंगी। साथ ही, मनरेगा मजदूरों की दैनिक मजदूरी 60 रुपये बढ़ाकर 300 रुपये कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि सरकार ने दो साल में अपनी छह चुनावी गारंटी पूरी की हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की पात्र महिलाओं को 1000 रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है तथा मार्च 2025 तक 50 हजार महिलाओं को इंदिरा गांधी सुख सम्मान निधि का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
वीरभद्र सिंह की दूरदर्शी सोच का परिणाम’
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि भानुपल्ली रेलवे लाइन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। सरकार ने बिलासपुर तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए अपना हिस्सा दे दिया है, अब आगे का खर्च केंद्र सरकार को उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए भवन अभी भी खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता भवन बनाना नहीं, बल्कि प्रदेश में बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना है।