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शिमला। HRTC में अपने पदनाम के मुताबिक काम न करके दफतरों में या फिर पैट्रोल पंप व टिकट घर में डयूटियां देने वाले कर्मचारियों पर अब गाज गिरने वाली है। इन सभी को एक बार फिर से अपना मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा क्योंकि इसे लेकर सवाल खड़ा हो गया है। बार-बार चालक व परिचालकों की तरफ से यह मांग की जा रही थी कि जो लोग अपने पदनाम के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं उनको उनकी डयूटी पर लगाया जाए। इस मांग पर पहले इतनी गंभीरता नहीं दिखाई गई मगर अब खुद उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने इसे लेकर एलान कर दिया है। इसके बाद एचआरटीसी का प्रबंधन भी हरकत में आया है और इस सप्ताह वह फील्ड से ऐसे कर्मचारियों का पूरा डाटा मांगेगा।
सूत्रों के अनुसार इस संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं और एमडी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। एचआरटीसी में ऐसे कई कर्मचारी हैं जो जिस पद पर भर्ती किए गए थे वो काम नहीं कर रहे हैं। सभी डिपुओं में ऐसे कर्मचारी हैं जिनको लेकर बार-बार शिकायतें आ रही हैं। एचआरटीसी ने कुछ लोग जो वाकई में मजबूर हैं उनको भी पहले से चिन्हित कर रखा है मगर कई ऐसे कर्मचारी हैं जिन्होंने मेडिकल सर्टिफिकेट दिया जरूर है मगर उसपर खरे नहीं उतरते हैं। ऐसे में दोबारा से उनका मेडिकल करवाने की तैयारी हो रही है। इन सभी से मेडिकल सर्टिफिकेट दोबारा मांगा जाएगा और विशेष मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग से सिफारिश की जाएगी।
पहले मेडिकल सर्टिफिकेट लेना भी ज्यादा मुश्किल नहीं होता था। सालों पहले इस तरह से सर्टिफिकेट बनवा दिए जाते थे जिनको विभागों में मान भी लिया जाता था। कई बार सिफारिश पर इस तरह के सर्टिफिकेट भी पूर्व में बन जाते थे मगर इनपर अब सवाल खड़े हो चुके हैं। ऐसे में दोबारा से सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा जिसकी पूरी पड़ताल करके ही कर्मचारियों को डयूटियां मिलेंगी। यानि नए सिरे से सर्टिफिकेट देखने के बाद ही तय होगा कि किसे दफतर में डयूटी देनी है या फिर किसे बसों में सेवाएं देनी होगी। इस मामले को लेकर वह कर्मचारी बेहद खुश हैं जो चाहते हैं कि सभी से पदनाम के मुताबिक काम लिया जाए। बताया जाता है कि 600 से ज्यादा ऐसे कर्मचारी निगम में काम कर रहे हैं जिनको भर्ती तो चालक या परिचालक के पद पर किया गया था मगर वह पैट्रोल पंप, टिकट खिडक़ी या फिर दफतरों में काम कर रहे हैं। उनसे भी वही काम लिया जाए जिनके लिए उनको भर्ती किया गया था ऐसा सोचा जा रहा है। ऐसे में उनके मेडिकल सर्टिफिकेट दोबारा से लिए जाएंगे और देखा जाएगा कि किसे किस तरह की जरूरत है।
एक मामला महिला कंडक्टरों का भी सामने आया है जिसमें प्रबंधन का मानना है कि उनको भी बसों में लगाया जाए। कुछ स्थानों पर महिलाओं का कंडक्टरी का काम न देकर दफतरों में लगा दिया गया है जिससे भी नाराजगी बढ़ रही है। यह मानना है कि उनको यदि कंडक्टर भर्ती किया गया है तो उनसे वही काम लिया जाना चाहिए। ऐसे में उनको भी अब नए सिरे से दायरे में लिया जाएगा।
एचआरटीसी में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा गया है। इसमें एक पॉलिसी पर भी काम करने को कहा है। सरकार के कर्मचारियों को तीन साल एक स्थान पर रखा जाता है जिनको इसके बाद तबदील किया जा सकता है। ऐसे ही एचआरटीसी के दफतरों या टिकट घरों में रखे कर्मचारियों को भी दो साल तक अधिकत्तम एक जगह पर रखने का विचार है। इसपर भी काम करने के लिए उप मुख्यमंत्री मुकेश् अग्रिहोत्री ने निर्देश दिए हैं।