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पूर्व डीजीपी संजय कुंडू समेत दस पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पुलिस कर्मचारी को आठ साल नौकरी पर रखने के बाद नौकरी से निकालने और जाति के आधार पर प्रताड़ित करने की शिकायत दर्ज की गई है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(पी) के तहत सदर पुलिस स्टेशन शिमला में मामला दर्ज किया गया है।
जिन अधिकारियों के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की गई है, उनमें एसपी कांगड़ा समेत दो महिला आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। शिकायतकर्ता मीना नेगी ने आरोप लगाया कि 9 जुलाई 2020 को उनके पति धर्मसुख नेगी को जाति के आधार पर फर्जी और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर विभागीय जांच के बाद हेड कांस्टेबल की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
आरोप है कि इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने जबरन 1,43,424 रुपये का पैनल रेंट वसूलने के आदेश दिए और 2020 से अब तक उनके पति की ग्रेच्युटी, डीसीआरजी और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ रोके रखे हैं। इसके अलावा सरकारी आवास खाली करने के नोटिस भेजे गए। मीना का आरोप है कि उनके पति को जाति के आधार पर प्रताड़ित किया गया है।
उनकी शिकायत में लगाए गए आरोपों को एफआईआर में शामिल कर पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, पूर्व आईपीएस अधिकारी हिमांशु मिश्रा, अरविंद शारदा, आईपीएस अधिकारी शालिनी अग्निहोत्री, अंजुम आरा खान, भगत सिंह ठाकुर, दिवाकर दत्त शर्मा, पंकज शर्मा और मीनाक्षी समेत डीएसपी बलदेव शर्मा के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है।