न्यूज अपडेट्स
शिमला। घाटे से जूझ रहा एचआरटीसी अब अपने चालक-परिचालकों की संख्या को कम करेगी। चालक-परिचालक दूसरे सरकारी विभागों में सेवाएं देने का विकल्प ले सकेंगे। घाटे में डूबा हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम अपने चालक-परिचालकों के लिए एक ऐसी योजना कर रहा है। जिसमें चालक-परिचालक दूसरे विभागों या सार्वजनिक उपक्रमों में नौकरी के लिए जा सकते हैं। जल्द ही एचआरटीसी अपने 500 चालक-परिचालकों से विकल्प मांग सकता है।
हिमाचल पथ परिवहन निगम ने अपने कुल 275 रूटों को निजी ऑपरेटरों को देने का निर्णय लिया है। ऐसे में परिवहन निगम के 600 चालक-परिचालक सरप्लस हो जाएंगे। ऐसे में घाटे में चल रहे निगम और घाटा नहीं उठाना चाहता। इसके चलते सरप्लस स्टाफ को दूसरे विभागों में जाने का विकल्प दिया जाएगा। वर्तमान में परिवहन निगम 1650 करोड़ के घाटे में चल रहा है। परिवहन निगम का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। घाटे का परिणाम यह है कि निगम के कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशनरों को पेंशन नहीं मिलती है। चालक तो दूसरे विभागों के वाहन चला सकेंगे, लेकिन परिचालक क्या काम करने के लिए उपयुक्त रहेंगे। अभी परिचालकों का कार्य क्षेत्र निर्धारित नहीं हुआ है।
मंत्रिमंडल की बैठक में बताई थी निगम की स्थिति
एक दिन पहले सचिवालय में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार को राज्य पथ परिवहन निगम की स्थिति से अवगत करवाया गया था। इस संबंध में दी गई प्रस्तुति में बताया गया कि जब निगम के रूट बंद होगे, तो ऐसे में निगम के चालकों-परिचालकों के पास चलाने के लिए बसें नहीं रहेगी। ऐसे में सरप्लस होने वाले स्टाफ को क्यों न दूसरे विभागों में नौकरी करने का विकल्प दिया जाए। ऐसा भी सुझाया गया है कि अपंग, अक्षम वर्ग को छोड़कर अन्य सभी श्रेणियों के लोगों को यात्रा के दौरान टिकट लेकर यात्रा करने की व्यवस्था बहाल की जाए।
निगम के पास 3158 बसों का बेड़ा
हिमाचल परिवहन राज्य पथ परिवहन निगम में कुल 3158 बसों का बेड़ा है। बसों के इस बेड़े में से सामान्य तौर पर 250 से 300 बसे मरम्मत और अन्य कारणों से सड़क से बाहर रहती है। प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन निगम की बसें 3870 रूटते पर चलती है। प्रदेश सरकार की ओर से निजी बस ऑपरेटरों को बढ़ावा देने को अपनाई जा रही नीति के तहत लगातार निगम के रूट घटते चले जाएंगे। परिवहन निगम प्रबंधन का मत है कि निगम के पास पहले से स्वीकृत संख्या से 310 चालक-परिचालक कम है। निगम में इस समय 2900 बसों को चलाने के लिए 3900 चालक और इतनी ही संख्या में परिचालक उपलब्ध है।