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शिमला। हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि एसोसिएशन के कुछ लोगों की शब्दावली पर वह माफी मांग सकते हैं, पर मंत्री खुद सचिवालय के अधिकारियों को गुंडा-मवाली तक बोल रहे हैं। इससे मुख्यमंत्री की छवि खराब होती है। उन्होंने कहा कि मंत्री ने कहा है कि जो भत्ते 68 विधायकों को भत्ते मिल रहे हैं, मंत्री इन्हें आधा करने को तैयार हैं, बशर्ते कर्मचारी भी आगे आएं। यह किस तरह की बयानबाजी है, क्या सभी 68 विधायकों की उन्हें सहमति मिल रही है। इस संबंध में सीएम ने एक भी शब्द नहीं कहा।
शनिवार को संजीव शर्मा ने यह बात तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी बयान के बाद कही। संजीव ने कहा कि वह किसी के बहकावे में नहीं आए। उन्हें किसी भी मंत्री या विधायक ने फोन नहीं किया। चाहे उनकी कॉल डिटेल देखी जाए। उन्होंने कहा कि महासंघ एक होता है। मुख्यमंत्री ने एक महीने के बाद दोनों गुटों को बुलाया है।
अच्छा होता कि वह किसी महासंघ को मान्यता दे देते, जो प्रदेश के कर्मचारियों के मुद्दे उठाए। कहा कि यह तो मालूम नहीं है कि सरकार वार्ता के लिए बुलाना चाहती है कि नहीं, पर मंगलवार तक इंतजार किया जाएगा। उसके बाद काले बिल्ले लगाकर विरोध किया जाएगा। हालांकि विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री का पूरा सहयोग किया जाएगा, क्योंकि वह खुद भी बहुत परिश्रमी हैं।
अगर सरकार ने अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के दोनों ही गुटों को एक बैठक के लिए एक महीने बाद बुलाया है तो यह भी इसी का परिणाम है कि सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ ने आम सभा बुलाई। जहां तक मांगपत्र की बात है तो यह मुख्य सचिव को सौंपा जाता है। उन्होंने कहा कि 90 सूत्री मांगपत्र मुख्य सचिव को दिया जा चुका है।