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बिलासपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया कोऑर्डिनेटर संदीप सांख्यान ने कहा कि जिस तरह से उपायुक्त कार्यालय के अंदर, बिलासपुर में भाजपा के नेताओं ने नारेबाजी की है वह निंदनीय घटना है और कॉंग्रेस पार्टी उसका खंडन करती है।
संदीप सांख्यान ने कहा कि इस उपायुक्त कार्यलय बिलासपुर के अंदर जाकर जिस तरह से भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उपायुक्त बिलासपुर के सामने नारेबाजी की है वह एक आराजकतावादी विचारों की द्योतक है। उन्होंने कहा कि उपायुक्त कार्यालय के अंदर भाजपा के नेता जो भी समस्याओं को लेकर गए थे उनको उपायुक्त बिलासपुर के सामने विचार-विमर्श करके समाधान निकलना चाहिए था न कि नारेबाज़ी करके आराजकतावादी विचारों को उजागर करके राजनीति की सस्ती लोकप्रियता हासिल करनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि उक्त भाजपा कार्यकर्ताओं के इस डेपुटेशन को भाजपा के वरिष्ठ नेता, प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और श्री नयना देवी जी विधानसभा क्षेत्र के तीन बार के विधायक श्री रणधीर शर्मा लीड कर रहे थे। यदि भाजपा का वरिष्ठ नेता इस तरह की आराजकता वादी समझ को आगे बढ़ाता है तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ही नहीं बल्कि भाजपा के लिए भी शर्मनाक है। संदीप सांख्यान ने कहा कि ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय जगत प्रकाश नड्डा जी को, प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष श्री बिंदल जी को और प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी को भी संज्ञान लेना चाहिए, कि क्या यही भाजपा का कल्चर है कि जिला उपायुक्त के कार्यालय के अंदर (भीतर) जाकर नारेबाजी करे।
संदीप सांख्यान ने कहा कि जिन विषयों पर भाजपा के नेता और कार्यकर्ता बात कर रहे थे वह कोई प्रदेश में वर्तमान कांग्रेस की सरकार के समय में पैदा नहीं हुए हैं जो इस तरह के आराजकता जिला उपायुक्त के कार्यालय के अंदर फैलाई जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि यह कार्यालय जिला की सम्पूर्ण व्यवस्था को देखता है और वहीं से लॉ एंड व्यवस्था चलती है और उसी कार्यलय में जाकर आप इस तरह की नारेबाजी करना एक अशोभनीय कृत है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं की यदि कोई नाराजगी जिला उपायुक्त कार्यलय या जिला प्रशासन से थी भी तो उनको अपना आंदोलन या धरना-प्रदर्शन जिला उपायुक्त कार्यलय के मुख्यद्वार निचली मंज़िल पर कर सकते थे या फिर जिला प्रशासन की अनुमति लेकर किसी अन्य स्थान पर अपना रोष या धरना प्रदर्शन कर सकते थे लेकिन जिला उपायुक्त के कार्यालय के अदंर जाकर इस तरह से करना भाजपा के असली चरित्र और चेहरे को दर्शाता है और इस घटना की कड़ी निंदा की जानी चाहिए क्योंकि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक अनैतिक कार्यक्रम था।
इस घटना पर प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को क्षमा मांगनी चाहिए। इस तरह की अराजकतावादी घटना चाहे वह कोई भी राजनैतिक दल क्यों न हो, स्वीकार्य नहीं की जा सकती। संदीप सांख्यान ने कहा कि भाजपा के विधायक और वरिष्ठ नेता को समझना चाहिए था कि वह कोई छात्र राजनीति नहीं कर रहे हैं। धरना-प्रदर्शन करने के भी नियम और कायदे होते हैं। भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं के द्वारा उठाया गया यह कदम गैर संस्कारी और एन्टी एस्टेब्लिशमेंट कहा जायेगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता को यह भी समझना चाहिए कि जिला उपायुक्त का कार्यकाल की एक अलग गरिमा है और वहां पर क्वासी-ज्यूडिशियल शक्तियों का भी समागम होता है जबकि भाजपा के यही वरिष्ठ नेता खुद एक वकील भी हैं। ऐसे में उपायुक्त कार्यालय के अंदर इस तरह की नारेबाजी की घटना को अंजाम देना कितना तर्कसंगत था जिला का आमजनमानस तय करे।