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शिमला। एचआरटीसी चालक-परिचालकों के लिए इस बार हुई वर्दी खरीद चर्चाओं में आ गई है। चर्चा इसलिए कि वर्दी की एवज में कर्मचारियों के वेतन से निगम प्रबंधन करीब 748 रुपए काटे हैं, जबकि इससे पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि वर्दी के पैसे चालक परिचालकों की जेब से कटे हैं। निगम प्रबंधन ने कर्मचारियों को जो वर्दी दी है, उसकी एवज में 67 लाख रुपए की रिकवरी की है। यानी प्रति कर्मचारी के वेतन से 736 रुपए काटे गए हैं। कर्मचारी इसका विरोध तो कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन के आगे कुछ नहीं बोल पा रहे हैं।
एच.आर.टी.सी. अपने फील्ड स्टाफ चालक, परिचालक व मकैनिक सहित अन्य श्रेणी के कर्मचारियों को 2- 2 वर्दियां देता है। इनमें से एक वर्दी सर्दियों की होती है और एक गर्मियों की। इस बार अच्छी क्वालिटी की वर्दी खरीदी गई है। जो निगम को 2700 रुपए प्रति कर्मचारी पड़ी है, जबकि निगम के कर्मचारियों का 2,000 रुपए वर्दी भत्ता तय है। क्योंकि इस बार वर्दी महंगी आई है तो इसकी रिकवरी कर्मचारियों से की गई। चालक-परिचालकों का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि वर्दी के पैसे काटे जाएंगे, क्योंकि इससे पहले कभी भी निगम ने वर्दी के पैसे नहीं काटे हैं। इससे निगम के कर्मचारियों को झटका भी लगा है।
वर्दी खरीद की बैठक में कर्मचारी यूनियनों के हैं हस्ताक्षर: निगम प्रबंधन का कहना है कि वर्दी खरीद के लिए एच. आर.टी.सी. ने पस्चेज कमेटी गठित की थी। कमेटी ने सभी यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की गई। बैठक की जो प्रोसिडिंग तैयार हुई उस पर सभी यूनियनों के पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर किए और महंगी वर्दी खरीदने पर हामी भरी।
चालक-परिचालकों के लिए कैसी वर्दी खरीदी जानी है, यह निगम की परचेज कमेटी तय करती है। वर्दी खरीद से पहले कमेटी व निगम की सभी कर्मचारी यूनियनों की बैठक हुई। सभी यूनियनों के पदाधिकारी बैठक में शामिल थे। सभी यूनियन पदाधिकारियों की सहमति के बाद ही वर्दी खरीदी गई है। वर्दी महंगी आई है, ऐसे में चालक-परिचालकों से रिकवरी भी की गई है- रोहन चंद ठाकुर, प्रबंध निदेशक, एच.आर.टी.सी.