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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश प्रारंभिक शिक्षा विभाग के तहत स्कूल में बतौर TGT आठ साल की सेवाएं देने के बाद टीचर को टर्मिनेट किया गया है। इस मामले पर कार्रवाई नियुक्ति के समय फर्जी डिग्री लगाने के बाद हुई है।
8 साल पहले शिक्षिका हुई थी नियुक्त: जानकारी के अनुसार, साल 2016 में TGT शिक्षिका की नियुक्ति बिलासपुर जिला के एक स्कूल में हुई थी। जिस समय स्कूल में उसकी नियुक्ति हुई- उस समय नियुक्ति संबंधी सभी तरह के दस्तावेज उसने लगाए थे। कॉन्ट्रेक्ट पीरियड पूरा करने के बाद TGT शिक्षिका साल 2020 में रेगुलर हो गई।
फर्जी डिग्री करवाई थी जमा: वहीं, नियमितीकरण के समय छंटनी के दौरान यह पाया गया कि शिक्षिका ने B.Ed उत्तर प्रदेश के लखनऊ की भारतीय शिक्षा परिषद यूनिवर्सिटी से पास की है। इस यूनिवर्सिटी को UGC द्वारा फेक यूनिवर्सिटी की श्रेणियों में शामिल किया गया है। यह जानकारी साल 2021 में विभाग की ओर से हासिल की गई।
बतौर TGT दे रही थी सेवाएं: इसके बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उक्त शिक्षिका को नोटिस जारी किया कि नियुक्ति संबंधी जो भी दस्तावेज उसके द्वारा लगाए गए हैं-वह सभी फर्जी हैं। इस पर शिक्षिका ने आदेशों के खिलाफ कोर्ट में याचिका दर्ज की। साथ ही साल 2022 तक वह विभाग में बतौर TGT की सेवाएं जारी रखती रहीं।
उधर, न्यायालय में जब इस मामले पर सुनवाई हुई तो शिक्षिका द्वारा जमा करवाए गए सभी दस्तावेज फर्जी पाए गए। कोर्ट के आदेशों में अमल करते हुए शिक्षा विभाग ने साल 2023 में शिक्षिका के नियुक्ति संबंधी सभी तरह के आर्डर टर्मिनेट कर दिए।
शिक्षा विभाग ने किया सस्पेंड: न्यायालय से 14 मई, 2024 को आए फैसले के मुताबिक उक्त शिक्षिका द्वारा कोर्ट के इस आर्डर पर पुनरविचार याचिका दायर नहीं कर पाई। कोर्ट के आदेशों पर शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए महिला को TGT के पद से हटा दिया। शिक्षा विभाग ने शिक्षिका का टर्मिनेशन आर्डर जारी कर दिया है।न्यायालय से 14 मई, 2024 को आए फैसले के मुताबिक उक्त शिक्षिका द्वारा कोर्ट के इस आर्डर पर पुनरविचार याचिका दायर नहीं कर पाई। कोर्ट के आदेशों पर शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए महिला को TGT के पद से हटा दिया। शिक्षा विभाग ने शिक्षिका का टर्मिनेशन आर्डर जारी कर दिया है।