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बिलासपुर। दूषित राजनीति की परिभाषक है भाजपा यह कहना है प्रदेश कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर व हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस प्रवक्ता संदीप सांख्यान का। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश में अस्थिरता का वातावरण पैदा करती है। जिसके परिणामस्वरूप भाजपा को बीते उपचुनावों में विधानसभा की चार सीटों पर हार का सामना करना पड़ा और अब वर्तमान उप चुनावों की तीन सीटों पर भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा।
संदीप सांख्यान ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश में चल रही कांग्रेस की स्थिर सरकार को गिराने की कोशिश की उसमें भाजपा ही औंधे मुंह गिरी है। वर्तमान में देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ तीन विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनावो में भी यही परिणीति भाजपा को ले डूबेगी। उन्होंने कहा कि देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ विधानसभा क्षेत्रों से निर्दलीय विधायकों को क्या आवश्यकता आन पड़ी की वह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, इसके पीछे भी भाजपा का ही हाथ था। पूरे प्रदेश को भाजपा ने उप चुनावों में धकेला उसके परिणामस्वरूप प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता तो फैली ही लेकिन प्रदेश में सामान्य चलने वाली विकास की योजनाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की विधानसभा में जब तीन निर्दलीय विधायक थे वह चाहते तो वह भाजपा के एसोसिएट सदस्य भी बन कर अपनी अपनी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यशील रह कर जन भलाई और विकास के कामों को कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करके उनको मिले जनसमर्थन का निरादर किया अब किस मुहँ से वह जनसमर्थन मांग रहे है। संदीप सांख्यान ने कहा कि वैसे भी इन तीन निर्दलीय विधायकों ने राज्यसभा चुनावो में भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में अपना मत देकर अपना विश्वास भाजपा के प्रति साबित तो दिया ही था लेकिन फिर से इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव में देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ की जनता को धकेलने की क्या आवश्यकता थी।
संदीप सांख्यान ने कहा कि ऊपर से भाजपा ने इन तीनो उमीदवारों को भाजपा के टिकट देकर अपने ही संगठन में अस्थिरता फैला दी है जिसका स्वरूप इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों के चुनावों के परिणामों में प्रदेश की जनता को देखने को मिलेगा। संदीप सांख्यान ने कहा कि प्रदेश में हुए 6 उप चुनावों में भाजपा को पटकनी मिल चुकी है और अब 10 जुलाई को होने जा रहे तीन विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनावों से एक बात तो साफ हो चुकी है कि भाजपा को यदि जनमत से सत्ता नहीं मिलती हैं तो वह राजनैतिक अस्थिरता फैलाने से भी कोई परहेज नहीं करती हैं और न ही कोई खरीद-फरोख्त करने से भी परहेज करती है।
इससे साफ होता है कि भाजपा का एजेंडा सिर्फ सत्ता हथियाना मात्र है जो कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के खिलाफ है। अब इन तीनों उप चुनावों के बाद भाजपा को डर है कि वह चुनाव हार गए तो जाएंगे कहाँ, तो ऐसे में प्रदेश में राज्यपाल शासन का नया शिगूफा छोड़ने पर आमादा हो गए हैं जो न तो प्रदेश के हित मे है और न ही जनता के हित में। पर इतना साफ हो चुका है कि प्रदेश में दूषित राजनीति का जब जब भी नाम आएगा तो उसमें इस दूषित राजनीति की परिभाषक प्रदेश की भाजपा ही होगी।