CM सुक्खू पर भारी पड़ सकती है 100 करोड़ रुपए की एडवांस पेमेंट, ED और CBI जांच की मांग, जानिए पूरा मामला

News Updates Network
0
न्यूज अपडेट्स 
शिमला, 10 अप्रैल:  देश में इस वक्त आम चुनावों की धूम है और सभी की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि CBI और ED का अगला निशाना कौन बनेगा। अब चाहे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन हों या फिर दिल्ली के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ये सभी अपने तथाकथित कर्मों की सजा हवालात में बैठकर भुगत रहे हैं। मगर इस सब के बीच हिमाचल प्रदेश से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। दरअसल, हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी ED और CBI की रडार पर आ सकते हैं।

क्या है पूरा मामला: दरअसल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में चुनाव अचार संहिता लगने से ठीक दो दिन पहले ही जल योजना परियोजना को लेकर एक फर्म को 100 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है। लेकिन बड़ी बात यह है कि सुक्खू सरकार के एक मंत्री इस फर्म को इस योजना का ठेका देने के पक्ष में नहीं थे। इस बात का खुलासा कांग्रेस के ही दो बागी हुए पूर्व विधायकों ने किया है।

दोनों नेताओं ने मांगी सीबीआई और ईडी जांच की मांग: कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा ने इस मामले में अब सीबीआई और ईडी की जांच की मांग की है। इन बागियों का कहना है सुक्खू सरकार ने प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगने से ठीक एक दो दिन पहले ही एक निजी फर्म को 100 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया है।

जबकि इस परियोजना के आवंटन पर सुक्खू सरकार के ही एक मंत्री और नगर निगम के मेयर को आपत्ति थी। दोनों बागी नेताओं ने इस मामले की जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि सीएम सुक्खू ने इस मामले में बड़ा घोटाला किया है, जो सीबीआई और ईडी की जांच से बाहर आएगा।

मंत्री की बात को अनसुना कर कैबिनेट में पारित किया प्रस्ताव: राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा ने सवाल उठाया है कि जब सुक्खू सरकार के एक मंत्री और शिमला नगर निगम के मेयर को इस जल योजना परियोजना के आवंटन पर आपत्ति थी तो क्यों सुक्खू सरकार ने इन दोनों की बात को अनसुना कर दिया और आनन फानन में चुनाव आचार संहिता से ठीक पहले कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर उस फर्म को ठेका दे दिया। सुधीर शर्मा ने कहा कि इस सारे मामले की सीबीआई और ईडी से जांच करवाई जानी चाहिए।

तीन बार केवल एक ही फर्म ने भरा टेंडर: दोनों नेताओं ने निवदा प्रक्रियाओं पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि सरकार ने जल योजना के लिए तीन बार निविदाएं आमंत्रित की थी, लेकिन हर बार केवल एक ही फर्म ने निविदा भरी। जिसके चलते सरकार के ही एक मंत्री ने साफ कहा था कि काम एक ही फर्म को नहीं दिया जा सकता, फिर भी सुक्खू सरकार ने अपने मंत्री की बात को नजरअंदाज करते हुए उस फर्म को ठेका दे दिया।

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top