हिमाचल के मंडी जिले में स्थापित और बीते 99 साल तक पंजाब के अधीन रहे शानन पावर हाउस प्रोजेक्ट को लेकर पंजाब सरकार ने बुधवार को केंद्रीय बिजली मंत्री को पत्र लिखकर इस प्रोजेक्ट का मालिकाना हक पंजाब को सौंपने की मांग की। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय मंत्री को लिखे अपने पत्र में शानन पावर प्रोजेक्ट पर मालिकाना हक की मांग की है।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट पर दावा किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। मुख्यमंत्री मान ने लिखा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जोगिंद्रनगर में स्थित शानन पावर हाउस पर मालिकाना हक जताया जा रहा है, जो पूरी तरह गलत है। उन्होंने इस प्रोजेक्ट के बारे में ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए पत्र में लिखा कि हिमाचल सरकार का यह दावा कि साल 1925 में मंडी के राजा ने इस प्रोजेक्ट के लिए 99 साल के लिए पंजाब को जमीन लीज पर दी थी, जिसकी समय-सीमा अगले साल मार्च 2024 में खत्म हो रही है।
मुख्यमंत्री ने लिखा कि यह प्रोजेक्ट पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के उपबंधों के तहत पंजाब राज्य बिजली बोर्ड को सौंपा गया था। पंजाब पुनर्गठन एक्ट संसद का एक्ट है, जिसके आधार पर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों का गठन हुआ। इसी एक्ट ने नीचे की ओर बस्सी पावर हाउस (उहल हाइडल प्रोजेक्ट चरण-2) की मलकीयत और नियंत्रण हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को सौंपा था।
भगवंत मान ने लिखा कि यह स्थिति आधी सदी से अधिक समय से भारत सरकार द्वारा बिना किसी छेड़छाड़ के कायम रखी गई है। पंजाब राज्य बिजली बोर्ड ने साल 1975 से 1982 तक अपने खर्चे पर शानन प्रोजेक्ट का विस्तार किया और इसकी क्षमता 48 मेगावाट से बढ़ाकर 110 मेगावाट की।