Lok Adalat Himachal: दूसरी ऑनलाइन लोक अदालत में निपटाए 34,978 मामले, सरकार को मिले 41.42 लाख रुपये

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हिमाचल प्रदेश में दूसरी ऑनलाइन लोक अदालत में 34,978 मुकदमों का निपटारा किया गया। सूबे की 133 लोक अदालत बेंचों में 2,33,271 मामले चिह्नित किए गए थे। प्रीलीटिगेशन के 83271 मामलों में से 30978 मामलों को निपटारा किया गया। निपटाए गए मामलों के दावेदारों को 63,73,17,574 रुपये की राशि आवंटित की गई। इसके अलावा 1.5 लाख वाहन चालान के मामलों में से सिर्फ 4000 मामलों को निपटाया गया। 

चालान के कंपाउंडिंग शुल्क के रूप में सरकार को 41,42,900 रुपये की राशि प्राप्त हुई। इस विशेष ऑनलाइन लोक अदालत के दौरान आम जनता को कंपाउंडिंग शुल्क/जुर्माने के ऑनलाइन भुगतान की सुविधा दी गई थी। हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधीश सबीना के मार्गदर्शन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने शनिवार को हिमाचल की सभी अदालतों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया। प्राधिकरण के सचिव प्रेम पाल रांटा ने बताया कि लोक अदालत में लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।

समय और पैसा बचाती है लोक अदालत

मामलों का त्वरित विचारण नागरिक का मूल अधिकार है। विचारण अथवा न्याय में विलंब से व्यक्ति की न्यायपालिका के प्रति आस्था में गिरावट आने लगती है। लोक अदालत के जरिये त्वरित विचारण की दिशा में कदम उठाने की अनुशंसा की गई है। यह निर्विवाद है कि लोगों को वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कई बार तो स्थिति यह बन जाती है कि पक्षकार मर जाता है लेकिन कार्यवाही जीवित रहती है। मुफ्त कानूनी सहायता के प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 39ए में वर्णित किया गया है। वर्ष 1987 में समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं देने के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनाया गया था। इसके तहत आर्थिक या कमजोर वर्गों को कानूनी सेवा के लिए लोक अदालत का प्रावधान रखा गया है। यह एक जनता की अदालत है जहां आपसी सुलह एवं समझौते से मामले का शीघ्र एवं सस्ते में निपटारा किया जाता है।

लोक अदालत के फैसले को नहीं दे सकते चुनौती
लोक अदालत के निर्णय को सर्वोपरि माना जाता है। इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। इस निर्णय को सिविल अदालत के निर्णय के समान माना जाता है।

पहली ऑनलाइन लोक अदालत में निपटाए गए रिकॉर्ड 50,175 मामले

27 नवंबर को आयोजित की गई ऑनलाइन लोक अदालत में रिकॉर्ड 50,175 मामले आपसी सहमति से निपटाए गए। 84 करोड़ 87 लाख 17 हजार रुपये की राशि में शामिल मामलों के आपसी निपटारे से सक्षम वादियों को उचित मुआवजा भी दिया गया।

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