हिमाचल में एकमात्र सार्वजनिक परिवहन का एकमात्र माध्यम हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम है, लेकिन एचआरटीसी जिस हालत में है, वह जानकर नए डिप्टी चीफ मिनिस्टर की नींद उडऩे जैसी स्थिति हो गई है। दरअसल परिवहन विभाग मिलने के बाद उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने समीक्षा बैठक बुलाई थी। इसमें एचआरटीसी की तरफ से रखे गए आंकड़े डराने वाले हैं।
सार्वजनिक परिवहन के जिस निगम में 12000 कर्मचारी और 9000 पेंशनरों को समय पर वेतन और पेंशन न मिलने की खबरें छपती रही हो, वहां इस निगम का कमर्शियल स्ट्रक्चर चरमराने वाला है। एचआरटीसी के कुल बस रूटों में से 94 फीसदी घाटे में हैं। सिर्फ छह फीसदी बस रूट फायदे के हैं। इस निगम पर कुल घाटा 1300 करोड़ का हो गया है और रोज दो करोड़ का घाटा इसमें जुड़ रहा है। अपने डीजल पंप बंद पड़े हैं और रोज डेढ़ करोड़ का डीजल बाहर से खरीदा जा रहा है।
बसों का बेड़ा 3500 का है, लेकिन इनमें से 1000 बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं और जीरो वेल्यू की हैं। एचआरटीसी के पास अपनी 65 वोल्वो हैं, लेकिन 115 से ज्यादा वोल्वो बसें हिमाचल में अवैध रूप से चल रही हैं। इनका इस्तेमाल स्टेज कैरियर के तौर पर हो रहा है, जो सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट कैरिज हो सकता है।
एचआरटीसी में अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को हर माह देने के लिए 65 करोड़ चाहिए, जिसमें 45 करोड़ वेतन के लिए लगते हैं और 20 करोड़ पेंशन के लिए। पैसा न होने से पूरी तरह से निर्भरता राज्य सरकार पर है और इसी वजह से वेतन और पेंशन लेट हो जाती है।