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बिलासपुर : 1500 करोड़ का एम्स, ओपीड़ी के बाहर मरीजों के बैठने तक कि व्यवस्था नहीं, चिकित्सक नहीं होते कमरे में मौजूद : संदीप संख्यान

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बिलासपुर,29 नवंबर - एम्स की व्यवस्थाओं पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने सवाल उठाए है। एम्स में सुबह सात बजे से मरीज प्रदेश के दूर दराज के इलाकों से आते है लेकिन चिकित्सक अपनी मन मुताबिक ही ओपीडी में बैठते हैं और ओपीडी के बाहर की हालात ऐसी है कि मरीजों को बैठाने तक कि व्यवस्था ठीक से नहीं है या फिर आधी अधूरी है। 
Bilaspur: AIIMS of 1500 crores, there is no arrangement even for patients to sit outside OPD, doctors are not present in the room: Sandeep Sankhyan
चिकित्सक कमरे में नहीं मौजूद :फोटो

एम्स के ओपीडी में जो फर्नीचर की सप्लाई की गई है उसकी क़्वालिटी भी इतनी घटिया है कि इसकी जांच अति आवश्यक है। अगर एम्स की ओपीडी  के डॉक्टर के साथ अटैचड अटेंडेंट से बात करें कि चिकित्सक अभी तक क्यों नहीं आए तब उनका जबाब आता है कि वह अभी आ जाएंगे लेकिन चिकित्सक 10 या 10:30 बजे से पहले ओपीड़ी में नहीं पहुंचते है और सुबह सात बजे से आये पंजीकरण के लिए खड़े मरीजों को एक लंबा इंतजार करवाया जा रहा है, बहुत सी ओपीड़ी एक ही एक ही चिकित्सक के सहारे चल रही है। 
Bilaspur: AIIMS of 1500 crores, there is no arrangement even for patients to sit outside OPD, doctors are not present in the room: Sandeep Sankhyan
मरीजों के लिए बैठने की नहीं कोई व्यवस्था:फोटो

एम्स के किसी भी विभाग में चिकित्सक अभी तक पूरे नहीं हैं, ओपीड़ी सिर्फ जूनियर चिकित्सकों के सहारे चलाने की तैयारी की जा रही है। एम्स की चिकित्सा व्यवस्था में सीनियर रेसिडेंट चिकित्सकों की भारी कमी देखी जा सकती है जबकि सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सक तो हैं ही नहीं। संदीप सांख्यान ने कहा कि करीब 1500 करोड़ की शुरुआती लागत से बनने वाले इस अस्पताल की व्यवस्था अभी से चरमराने लगी है। एम्स एक केंद्रीय संस्थान है लेकिन मरीजों को जो व्यवस्थाएं और व्यवहार यहां पर मिल रहा है वह किसी भी जिला अस्पताल से बदतर है। एम्स में जो अपॉइंटमेंट लेने के लिए फोन नम्बर दिए है उन फोन नम्बरों पर कोई भी जबाब नहीं मिलता। एम्स की व्यवस्था ऐसी बन चुकी है कि पहले मरीज एक दिन अपॉइंटमेंट के लिए जाए और उसके बाद फिर ओपीडी में दिखाए। 

उन्होंने कहा कि एम्स बिलासपुर कहीं ऊंची दुकान फीका पकवान ही साबित नहीं हो। इसके अलावा एम्स बिलासपुर में जो जन औषधी केंद्र खोले गए है उनमें किसी मे भी केंद्र पूर्ण रूप से दवाईयों की उपलब्धता नहीं होती है। निजी केमिस्टों पर मरीजों को निर्भर रखना पड़ता है जो एम्स की ओपीडी करीब 1 किलो मीटर की दूरी पर पर स्थित है। ऐसे में एम्स के प्रशासन को देखना होगा कि उनकी सेवाएं मरीजों तक कैसे ठीक से पहुंचाए, नहीं तो एम्स बिलासपुर में एक बड़ी विडंबना ही साबित होगा।

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