सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेललाइन निर्माण के लिए पांच गांवों की जमीन के अधिग्रहण की अनुमति सरकार ने दे दी है। परियोजना में अब तक बिलासपुर में सबसे ज्यादा 60 लाख प्रति बीघा जमीन के दाम मिले थे, लेकिन अब लुहणू खैरियां में सबसे ज्यादा 80 लाख रुपये प्रति बीघा जमीन के दाम तय हुए हैं। इस गांव की 25 बीघा जमीन अधिग्रहीत होगी।
बध्यात से पीछे करीब 26 गांवों की जमीन अधिग्रहण के लिए सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट (एसआईए स्टडी) तैयार की गई थी। इन गांवों को भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत ही जमीन के दाम मिलने थे, लेकिन एसआईए स्टडी के बाद कुछ गांव मोलभाव पर जमीन देने को तैयार हो गए थे। इनमें से पांच गांव कोट, माणवां, बामटा, बघ्यात, लुहणू खैरियां शामिल हैं। वहीं भूमि अधिग्रहण इकाई ने मोलभाव की फाइल सरकार को मंजूरी के लिए भेजी थी। इसकी मंजूरी सरकार ने दे दी है।
कोट में तीन, माणवां में 34, बामटा में 6, बध्यात में 97 और लुहणू खरियां में 25 बीघा यानी अभी कुल पांच गांवों की 165 बीघा भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है। इनमें कोट की जमीन के लिए 34 लाख, बामटा में 51, बध्यात में 80, माणवां में 49 और लुहणू खैरियां में जमीन के 86 लाख प्रति बीघा दाम तय हुए हैं। जल्द ही रेलवे की भूमि अधिग्रहण विशेष इकाई मुआवजा देकर इन गांव को अधिग्रहण करेगी। वहीं बताते चलें कि बध्यात से आगे बरमाणा तक भी अंतिम फेज के लिए एसआईए स्टडी पूरी हो चुकी है और सरकार ने रिपोर्ट स्टडी करने के लिए एक्सपर्ट ग्रुप भी नोटिफाई कर दिया है।
1648 बीघा निजी भूमि का होना है अधिग्रहण
इस रेललाइन के लिए हिमाचल में निजी भूमि पर करीब 1648 बीघा भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें दबट से बध्यात तक 52 किलोमीटर के लिए 50 गांव में करीब 1110 बीघा और बध्यात से बरमाणा तक 11.1 किलोमीटर में 538 बीघा भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें से बध्यात से पीछे 50 गांव में अधिकतर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। वहीं 155 बीघा का अधिग्रहण जल्द होने जा रहा है।