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बिलासपुर: विस्थापितों का मुद्दा अभी तक नहीं सुलझा: संदीप सांख्यान

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिलासपुर से तीन बार के विधायक, दो बार केंद्रित कैबिनेट मंत्री, केंद्र सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व वर्तमान राज्य सभा सांसद माननीय श्री जगत प्रकाश नड्डा जी से अनुरोध रहेगा कि वह देश के शिखर पर बैठ कर बिलासपुर के विस्थापितों की समस्याओं का समाधान तो दें यह कहना है जिला कांग्रेस सेवादल के महासचिव संदीप सांख्यान का। 

संदीप सांख्यान ने कहा कि बिलासपुर के विस्थापितों का मुद्दा कभी भी केंद्र सरकार के समक्ष प्रभावशाली तरीके से उठ ही नहीं पाया। वर्ष 1985 में की गई मिनी सेटलमेंट के बाद कोई भी ऐसा कदम नही उठ पाया जिसके कारण बिलासपुर के विस्थापितों का हित हो सके। कुछ नेताओं ने  विस्थापितों के नाम पर सत्ताएं हासिल की और चुप चाप सता सुख भोग कर दुबक गए। लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि यदि 1960 से पहले का रेवन्यु रिकार्ड पर अगर नज़र दौड़ाई जाए तो बिलासपुर के विस्थापितों के कुछ उदाहरण लिए  स्व. अछरू राय जी की करीब 15 बीघा, स्व सरदार निरंजन सिंह जी की करीब 24 बीघा, स्व मिस्त्री राम दास जी के परिवार की 14 बीघा, स्व मिस्त्री गोपाल जी की 15 बीघा, स्व लाला भंगू मल जी की करीब 18 बीघा, भट्टा परिवार की करीब 30 बीघा, स्व चुनु आचार्य जी का बाग बगीचा, स्व महेंद्र बक्शी के परिवार का रेंजर बाग, सैनी परिवार का बाग, बंदरोली परिवारों के धान के क्यार, वरिष्ठ पत्रकार श्री जय कुमार परिवार की करीब 15 बीघा से अधिक, स्व संगारु राम जी के परिवार की करीब 17 बीघा व अन्य बहुत से परिवारों की जमीन जलमग्न हुई है। 

जिन विस्थापित नामो का जिक्र किया गया है वह तो केवल उदाहरण मात्र है लेकिन पूरे जिले हज़ारों हैक्टेयर भूमि जलमग्न हुई है और उसकी एवज में मिला क्या सिर्फ 30×60, 37×48, 15×30 और 15×60 फुट के प्लाट देकर केवल सांत्वना प्रदान कर दी गई, तत्कालीन समय मे न राजनीति जागरूक थी, न न्यायपालिका जागरूक थी और न ही कार्यपालिका जागरूक थी, तो ऐसे में डूबे हुए बिलासपुर के नागरिक कितने जागरूक हो सकते है अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मुद्दा अभी तक जिंदा है। 

डूबे हुए बिलासपुर का मतलब न्यू टाऊनशिप के साथ साथ करीब 258 गाँव भी है। अभी भी ऐसे कई अनसुलझे प्रश्न खड़े है जिनका उत्तर ढूंढ पाना मुश्किल की नही नामुमकिन सा लगता है। तो ऐसे में बिलासपुर के विस्थापित परिवारों के लिए कोई विशेष अधिनियम या वन टाइम सेटलमेंट की योजना बने ताकि लोंगो की ताउम्र की इस समस्या निजात मिल सके।

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