मौका मिलने पर किराये की गाड़ी से वह कीव रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। यहां ट्रेन में चढ़े ही थे कि उन्हें धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया। कहा गया कि जब यूक्रेन में रूसी हमले पर भारत का सहयोग नहीं मिला तो वे भारतीयों का साथ नहीं देंगे।
विवेक ने कहा कि इस दौरान धक्का-मुक्की में उनकी जैकेट भी फाड़ दी और ट्रेन से बाहर फेंक दिया। बाद में पैसे देकर जैसे-तैसे वह ट्रेन में सवार हुए और 250 किलोमीटर सफर कर सुरक्षित जगह तक पहुंचे। उसके बाद भारत सरकार की मदद से वह दिल्ली तक पहुंचे। उन्होंने बताया कि सिर्फ दो ही दिन खाना मिल पाया। बाकी दिन वह चिप्स-कुरकुरे और जूस के सहारे जिंदा रहे।
रविवार सुबह करीब साढ़े सात बजे अपने घर छोटे बाग पहुंचे विवेक के घर रिश्तेदारों का तांता लगा रहा। नायब तहसीलदार पूर्ण चंद कौंडल ने बताया कि विवेक के सुरक्षित घर लौटने से क्षेत्र में खुशी की लहर है। पंचायत प्रधान राजीव खान और विवेक के दादा होशियार सिंह, दादी मनसा देवी ने केंद्र सरकार का आभार जताते हुए गुहार लगाई है कि यूक्रेन में जितने भी भारतीय विद्यार्थी फंसे हैं, उन्हें भी सुरक्षित घर तक पहुंचाया जाए।