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Russia- Ukrain War: 500 डॉलर देकर पिसाचिन से निकला हिमाचल का युवक कार्तिक

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यूक्रेन में युद्ध से खराब हुए हालात के बीच वहां फंसे विद्यार्थियों में बंगाणा के बौत गांव के कार्तिक राणा और झंबर के सुरजेड़ा गांव के पुनीत शर्मा भारत लौटने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। पिसाचिन में फंसे इन विद्यार्थियों को स्थानीय निजी बस व टैक्स चालक मनमाने दाम वसूलकर बॉर्डर पर पहुंचाने की पेशकश कर रहे हैं।  

बताया जा रहा है कि शनिवार देर रात को कार्तिक राणा एक निजी बस में सवार होकर बॉर्डर के लिए निकला है। इसके बदले उसने बस संचालक को 500 डॉलर दिए हैं। वहीं, पुनीत शर्मा अभी भी पिसाचिन में ही फंसा है। वहां उसके साथ करीब 300 विद्यार्थी फंसे हुए हैं। शनिवार को एक भी बस नहीं आने के कारण पुनीत बॉर्डर के लिए नहीं निकल पाया। उधर, पिसाचिन में फंसे बच्चों के लिए युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती भोजन की है। पुनीत के पिता रविंदर शर्मा ने कहा कि बच्चों को शुक्रवार को खाने के लिए ब्रेड मिली थी और शनिवार को कुछ नहीं मिला।

कड़ाके की ठंड और भूख से कई बच्चे बीमार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले पिसाचिन में करीब 800 विद्यार्थी फंसे हुए थे और अब 300 के आसपास बचे हैं। कहा कि सबसे पहले उन बच्चों को बसों में बॉर्डर के लिए भेजा गया जो बीमार हो चुके हैं। बस में जगह बचने पर दूसरे बच्चों को बस में भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि बॉर्डर तक पहुंचाने की एवज में हर बच्चे से 500 डॉलर मांगे जा रहे हैं और उन्हें मजबूरी में देने पड़ रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि पुनीत से हुई बातचीत में उसने बताया कि शनिवार रात को आई एक बस में कार्तिक को जगह मिल गई और वह बॉर्डर के लिए निकल चुका है और अब उन्हें भी बस या किसी अन्य गाड़ी का इंतजार है। रविंदर शर्मा ने कहा कि बच्चों को खाना नहीं मिल रहा है। बमबारी और गोलीबारी के बीच कोई खाने की तलाश में बाहर भी नहीं निकल पा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को वहां से निकालने में सरकार भी कोई सहायता नहीं कर रही।

कार्तिक का फोन बंद, नहीं हो पाई बात

कार्तिक की माता सरोज राणा ने बताया कि उनकी कार्तिक से बातचीत नहीं हो पा रही है। उसका फोन बंद है। उन्होंने कहा कि कार्तिक के बस में बॉर्डर के लिए निकलने की जानकारी भी उन्हें वहां फंसे दूसरे बच्चों के माता-पिता से लगी। उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे के घर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।

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