राज्य में 30 हजार बीघा क्षेत्र में पैदा होती है भाग
उल्लेखनीय है कि राज्य में करीब 30 हजार बीघा क्षेत्र में भांग पैदा होती है, जिसे मानसून सीजन के दौरान सरकार को नष्ट करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। भांग और चरस के कारण हिमाचल प्रदेश की बदनामी भी हुई है। विशेषकर प्रदेश के कुल्लू जिले में इस तरह अवैध कारोबार होने के मामले सामने आते रहे हैं, जिसके तार विदेशों तक जुड़े हैं। भांग के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों की तरफ से अब हाइब्रिड भांग के पौधों को उगाने के मामले सामने आए हैं ताकि अधिक मुनाफा कमाया जा सके।
भांग की खेती के लाभ
राज्य में यदि भांग की व्यावसायिक खेती होती है तो इसका उपयोग औषधि के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा भांग के पौधे के रेशे से वस्त्र बनाए जा सकते हैं। इस क्षेत्र में स्टार्टअप कंपनियां रुचि दिखा सकती हैं, जिससे कपड़ों के अलावा भांग के रेशे से पर्स, चप्पल व कई अन्य चीजें बनाई जा सकती हैं।
भांग की खेती के नुक्सान
राज्य में भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्रदान किए जाने से इसकी आड़ में नशे का अवैध कारोबार फल-फूल सकता है। इससे विदेशों से हाइब्रिड बीज लाकर इसे हिमाचल में उगाया जा सकता है। नशे के कारोबार से जुड़े सरगना इससे लाभ उठा सकते हैं, जिससे युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ सकती है।