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हिमाचल : राजस्व रिकाॅर्ड से हटेंगे उर्दू-फारसी के जटिल शब्द

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हमीरपुर : 16वीं सदी में अकबर के राजस्व मंत्री राजा टोडरमल के इजाद किए हुए उर्दू व फारसी के भारी-भरकम शब्द अब राजस्व विभाग के रिकाॅर्ड से हटाए जाएंगे। राजस्व अधिकारियों व आमजन के लिए सिरदर्द बने इन शब्दों को समझने में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए प्रदेश राजस्व विभाग ने यह निर्णय लिया है। 

ऐसा होने के बाद मुंतकिला, वसीका नंबर, साकिंदेह, इंद्राज बदस्तूर, बरुए, ततीमा मिलान, वाजिब उल दर्ज, रूढ़ अलामात, मुनारा, मसाहती ग्राम, गोश्वारा, बयशुदा, साकिन, मजकूर, अखात तफसील आदि शब्द अतीत का हिस्सा हो जाएंगे और इनके स्थान पर आम बोलचाल अर्थात हिंदी शब्दों का प्रयोग अमल में लाया जाएगा। 

राजस्व शब्दावली तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति की तैनाती

सरकार ने आम आदमी को समझ आने वाली राजस्व शब्दावली तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की तैनाती कर दी है। समिति के सदस्य जल्द ही राजस्व शब्दावली तैयार कर इसे राजस्व विभाग के सुपुर्द कर देंगे। राजस्व विभाग का रिकार्ड दर्ज करने के लिए उर्दू व फारसी के जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उनकी समझ आम जनता को है ही नहीं, राजस्व विभाग में काम करने वाले अधिकारियों को भी इन शब्दों के अर्थ ज्ञात नहीं हैं। 

ये ऐसे शब्द हैं जो आम बोलचाल की भाषा में अमल में नहीं लाए जाते हैं और इनके जानकार धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। राजस्व विभाग में वर्षों से सेवाएं दे रहे पुराने लोग तो इन शब्दों को जानते भी हैं लेकिन नवनियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों को इन शब्दों का अर्थ समझने के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों या राजस्व शब्दकोष की सहायता लेनी पड़ती है। राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने राजस्व विभाग में इस्तेमाल होने वाले फारसी व उर्दू के शब्दों की जगह हिंदी शब्दावली तैयार करने के लिए कहा है। सरकार के आदेशों पर राजस्व शब्दावली के सरलीकरण का काम प्रदेश में जारी हो चुका है जो जल्द ही अंजाम तक पहुंचेगा। 

अकबर बादशाह के समय में पहली बार हुआ था भूमि का बंदोबस्त

गुलाम भारत में भू-राजस्व रिकाॅर्ड दर्ज करने की व्यवस्था बादशाह अकबर के काल में शुरू हुई थी और अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल ने सबसे पहले जमीनों की पहचान करने के लिए, उसे नंबर व नाम देने की व्यवस्था 16वीं सदी के छठे दशक के बाद शुरू की थी। 

अंग्रेजों के जमाने में भी कई भूमि सुधार कानून आए लेकिन उस शासन व्यवस्था में भी भू पैमाइश की पुरानी व्यवस्था यथावत रही और उर्दू तथा फारसी के शब्दयुक्त यह व्यवस्था आज भी जारी है, जिसमें बदलाव लाने के लिए सरकार ने समिति तैनात की है जो शब्दावली तैयार कर रही है। 

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