उत्तर रेलवे ने साल 2017-18 के बजट में इस परियोजना को शामिल किया था। उस समय इसके लिए 2850 करोड़ की लागत का आकलन रखा गया था। लेकिन साल 2019 में जब इसकी डीपीआर तैयार की गई तो इसका आकलन बढ़कर 5821 करोड़ हो गया। साल 2021-22 के बजट में भी इसे एक हजार रुपये ही दिए गए। और इस बजट में भी ऐसा ही हुआ।
सामरिक महत्व की बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन की डीपीआर को पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद उत्तर रेलवे ने दिसंबर माह में केंद्र को सौंप दिया था। इसका आकलन करीब सौ हजार करोड़ बना था। उसके बाद इस पर छह जनवरी को समीक्षा बैठक भी हुई। लेकिन 12 जनवरी को होने वाली बैठक कोरोना के कारण टल गई। इस कारण इस डीपीआर की समीक्षा अधूरी रही। वहीं इस परियोजना को इस बजट में शामिल करने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन इसे भी इसमें जगह नहीं मिल सकी है। हालांकि रक्षा मंत्रालय का विशेष प्रोजेक्ट होने के चलते इस पर वित्त वर्ष के बीच फैसला लिया जाना संभव है। लेकिन अभी तक कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनॉमिक अफेयर (सीसीईए) से भी इस प्रोजेक्ट को अप्रूवल नहीं मिल पाया है। वहीं इस कमेटी के अप्रूवल के बाद ही इस रेललाइन के लिए बजट का प्रावधान होना है।
वहीं अब रेलवे अधिकारियों की माने तो इस परियोजना को फिलहाल उत्तर रेलवे ने फ्रीज कर दिया है। रेलवे की आवश्यक परियोजनाओं में इस ट्रैक का कहीं जिक्र नहीं है। दूसरी ओर बजट में तरजीह न मिलने से आए दिन कागजों में इस परियोजना की कीमत बढ़ती जा रही है।
अनुराग ठाकुर अपने ही संसदीय क्षेत्र और गृह जिला के लिए बिछने वाली इस रेललाइन को सिरे चढ़ाने में नाकाम रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सूचना प्रसारण मंत्री ने इस प्रोजेक्ट के लिए प्रयास नहीं किए। रेलवे के सूत्रों के अनुसार अनुराग ने इस परियोजना के लिए रेलवे के साथ बैठक भी की। लेकिन कामयाब नहीं हो सके।
बिलासपुर-मनाली-लेह की डीपीआर तैयार, बजट में नहीं हुआ जिक्र
सामरिक महत्व की बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन की डीपीआर को पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद उत्तर रेलवे ने दिसंबर माह में केंद्र को सौंप दिया था। इसका आकलन करीब सौ हजार करोड़ बना था। उसके बाद इस पर छह जनवरी को समीक्षा बैठक भी हुई। लेकिन 12 जनवरी को होने वाली बैठक कोरोना के कारण टल गई। इस कारण इस डीपीआर की समीक्षा अधूरी रही। वहीं इस परियोजना को इस बजट में शामिल करने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन इसे भी इसमें जगह नहीं मिल सकी है। हालांकि रक्षा मंत्रालय का विशेष प्रोजेक्ट होने के चलते इस पर वित्त वर्ष के बीच फैसला लिया जाना संभव है। लेकिन अभी तक कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनॉमिक अफेयर (सीसीईए) से भी इस प्रोजेक्ट को अप्रूवल नहीं मिल पाया है। वहीं इस कमेटी के अप्रूवल के बाद ही इस रेललाइन के लिए बजट का प्रावधान होना है।