सुंदरनगर: हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रमुख डीजीपी संजय कुंडू ने मंगलवार को सुंदरनगर में प्रैस वार्ता में कहा कि पुलिस ने जहरीली शराब मामले से संबंधित 19 जनवरी को एफआईआर दर्ज की थी और 2 हफ्तों में इस पूरे मामले का पर्दाफाश कर दिया है। कुंडू ने बताया कि अवैध शराब के मामले में हमीरपुर में पकड़ी गई फैक्टरी के सारे बैकवर्ड लिंक निकाले गए तथा शराब बनाने की तमाम सामग्री, स्प्रिट, डिस्ट्रिल वाटर, वाटर, बोतल, और फॉर्मूले तथा प्रयोग की जाने वाली सामग्री और इस कारोबार में शामिल सभी के सभी पकड़े गए हैं।
हमीरपुर की अवैध शराब की फैक्टरी का मास्टरमाइंड गौरव उर्फ गौरू ही किंगपिन है, जिसने क्षेत्र के हिसाब से वितरक नियुक्त किए हुए थे। राकेश ऊना में, अनिल व बब्बू कांगड़ा, नरेंद्र कालू सुंदरनगर में और अन्य इलाकों में डिस्ट्रिब्यूटर नियुक्त किए थे। इन्होंने आगे रिटेलर नियुक्त किए थे, जिनका पुलिस ने पूरा चार्ट तैयार किया है और जल्द ही चार्ट भी जारी पुलिस करेगी।
प्रतिदिन बनाई जाती थीं अवैध शराब की 150 पेटियां
अवैध शराब की प्रतिदिन 150 पेटियां बनाई जाती थीं और उन्हें आगे सप्लाई किया जाता था। सुंदरनगर के कालू ने कबूल किया है कि वह हर दिन 3 और साढ़े 4 हजार रुपए तक की कमाई करता था। इसके अलावा नालागढ़ में भी अवैध शराब की फैक्टरी पकड़ी गई है, जिसमें भी अपराधी पकड़े गए हैं। इनसे भी पूछताछ की जा रही है। शीघ्र ही पुलिस इसका भी खुलासा करेगी। इस मौके पर डीआईजी मधुसूदन, एसपी मंडी शालिनी अग्रिहोत्री, विरेंद्र कालिया, आईपीएस विवेक चहल, कमलेश व एसएचओ सुंदरनगर अंकुर कुमार भी मौजूद थे।
ऑर्गेनाइज क्राइम का यह पहला मामला
डीजीपी ने कहा कि प्रदेश में अवैध शराब का यह धंधा जगह बदल-बदलकर 15 वर्षों से चल रहा था। प्रदेश में ऑर्गेनाइज क्राइम का यह पहला मामला है और सबसे कम समय में इसे सुलझाया गया है। उन्होंने कहा कि डीआईजी मधुसूदन की अध्यक्षता में एसआईटी के अधिकारियों की अथक मेहनत से 2 हफ्तों में सारे लिंक्स रिकवर कर सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे धकेल दिया है।
इस प्रकरण में 19 अपराधी शामिल हैं, जिनमें से 11 को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है जबकि 8 पुलिस रिमांड पर हैं। 19 लोगों में गौरू और रंगीलू मुख्य सरगना हैं, जिसमें रंगीलू की तलाश जारी है। डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि हिमाचल में ऑर्गेनाइज क्राइम की इन्वैस्टीगेशन का ऐसा तजुर्बा पहले नहीं था लेकिन पर्दाफाश होने के बाद सभी ने इसे लर्निंग तजुर्बा बताया है।